केजरीवाल ने की ऑटो ड्राइवर्स के लिए 5 बड़ी घोषणा, दिल्ली चुनाव में ऑटो ड्राइवर्स क्यों माने जाते हैं गेमचेंजर?
इसी बीच न्याय भूमि नामक 10,000 ऑटो चालकों के संगठन ने एक साल पुरानी आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन देने की घोषणा की। न्याय भूमि की इस घोषणा ने दिल्ली चुनाव की दिशा ही बदल दी।
साल था 2013 और महीना था जनवरी... दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार अपने चरम पर था। इसी बीच न्याय भूमि नामक 10,000 ऑटो चालकों के संगठन ने एक साल पुरानी आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन देने की घोषणा की। न्याय भूमि की इस घोषणा ने दिल्ली चुनाव की दिशा ही बदल दी।
ऑटो चालकों के मैदान में उतरने से आम आदमी पार्टी के प्रचार में तेज़ी आई। गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य मार्गों तक अरविंद केजरीवाल के विचार और गीत बजने लगे। इसका फ़ायदा विधानसभा चुनाव में AAP को मिला। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में AAP ने अपने पहले प्रयास में ही 28 सीटें जीत लीं।
केजरीवाल की यह सरकार सिर्फ़ 49 दिन चली। 2015 में जब चुनाव हुए तो केजरीवाल के साथ ऑटो चालक फिर से मैदान में उतरे। इस बार ऑटो चालकों की संख्या हज़ारों की बजाय लाखों में थी। चुनाव परिणाम भी एकतरफ़ा रहे और AAP ने दिल्ली की 3 सीटों को छोड़कर सभी 67 सीटों पर जीत हासिल की।
10 साल बाद अरविंद केजरीवाल ने फिर से दिल्ली में ऑटो चालकों को लुभाने की कवायद शुरू कर दी है। केजरीवाल की इस कवायद को एंटी इनकंबेंसी को खत्म करने के कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है। हाल ही में आम आदमी पार्टी ने एक सर्वे कराया है, जिसके बाद खराब फीडबैक पाने वाले कई विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं।
दिल्ली में ऑटो ड्राइवर्स क्यों अहम?
1. राजधानी दिल्ली में एक दर्जन से अधिक ऑटो चालकों के संगठन सक्रिय हैं। पूरी राजधानी में ऑटो चालकों की संख्या करीब एक लाख है। सर्वे एजेंसी सीएसडीएस के अनुसार दिल्ली में करीब 4 फीसदी मतदाता ऑटो चालक, मैकेनिकल आदि पेशे से जुड़े हैं।
2. चुनाव में फीडबैक लेने का सबसे बड़ा माध्यम ऑटो चालक बन गए हैं। चुनाव के दौरान चालक अपने यात्रियों से मुद्दों, नेताओं आदि के बारे में जानकारी लेते हैं और फिर उसे संबंधित नेता या पार्टी तक पहुंचाते हैं, जिससे नेताओं को रणनीति बनाने में आसानी होती है।
3. ऑटो चालक माहौल बनाने का भी काम करते हैं। चालक जिस नेता या पार्टी का समर्थन करते हैं, उसके समर्थन में यात्रियों से बात करते हैं। इसके अलावा वे अपने ऑटो पर नेताओं और पार्टियों के पोस्टर लगाकर दिल्ली में घूमते भी हैं। इसे राजधानी का सबसे सस्ता प्रचार माध्यम भी कहा जाता है।
4. दिल्ली में ऑटो चालक मुख्य रूप से शाहदरा, पंजाबी बाग, कोंडली, सराय काले खां, संगम विहार और बुराड़ी इलाकों की राजनीति को प्रभावित करते हैं। 1990 के दशक में ज्यादातर ऑटो चालक पंजाब से आते थे, लेकिन अब बिहार और यूपी से आने वाले ड्राइवरों की संख्या भी काफी ज्यादा है।
केजरीवाल की 5 गारंटी क्या हैं?
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि दिल्ली में सरकार दोबारा सत्ता में आई तो 5 गारंटी लागू की जाएंगी। इनमें हर ड्राइवर के लिए 10 लाख तक का जीवन बीमा और 5 लाख का दुर्घटना बीमा, बेटी की शादी के लिए 1 लाख की सहायता, वर्दी के लिए 5000 रुपये सालाना शामिल हैं।
इसके अलावा सभी ऑटो ड्राइवरों के बच्चों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग का खर्च सरकार उठाएगी। केजरीवाल ने पूछो ऐप को फिर से लॉन्च करने की बात कही है।
दिल्ली में ऑटो ड्राइवरों के मुद्दे
दिल्ली में ऑटो ड्राइवरों का मुख्य मुद्दा ट्रैफिक नियमों का नियमितीकरण है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी में ई-रिक्शा की संख्या में बढ़ोतरी और महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा ने भी ऑटो ड्राइवरों के कारोबार को प्रभावित किया है। इन दोनों कारणों से ऑटो ड्राइवरों को नियमित सवारी मिलना मुश्किल हो गया है।
दिल्ली में ऑटो ड्राइवरों के लिए स्वास्थ्य बीमा भी एक बड़ा मुद्दा है। केजरीवाल ने उनके मुद्दों पर पहल करके चुनाव से पहले ही बड़ा दांव खेलने की कोशिश की है।
दिल्ली में 70 सीटों पर चुनाव
फरवरी 2025 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रस्तावित हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी का सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से है। कांग्रेस दिल्ली की लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों की जरूरत है। आम आदमी पार्टी लगातार चौथी बार दिल्ली की सत्ता पर नजर गड़ाए हुए है।
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