पूर्व विदेश मंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस. एम. कृष्णा का 92 वर्ष की आयु में निधन
भारतीय राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ और कुशल प्रशासक, सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा का मंगलवार को 92 वर्ष की आयु में बेंगलुरु में निधन हो गया।
भारतीय राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ और कुशल प्रशासक, सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा का मंगलवार को 92 वर्ष की आयु में बेंगलुरु में निधन हो गया। उन्होंने लंबे समय तक सार्वजनिक जीवन में सेवा करते हुए देश की विदेश नीति और कर्नाटक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके निधन की खबर से राजनीतिक जगत और उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
एस. एम. कृष्णा का जन्म 1 मई 1932 को कर्नाटक के मांड्या जिले में हुआ था। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन 1960 के दशक में शुरू किया। 1962 में उन्होंने मद्दुर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हुए और 1968 में मांड्या लोकसभा सीट से उपचुनाव जीता।
1971 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी में वापसी की और एक बार फिर मांड्या लोकसभा सीट से चुनाव जीता। उनके करियर का यह दौर उनके दृढ़ नेतृत्व और राजनीतिक कुशलता को दर्शाता है।
कर्नाटक के विकास में अहम भूमिका
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल 1999 से 2004 तक रहा। इस दौरान उन्होंने बेंगलुरु को देश के प्रमुख आईटी हब में बदलने में अहम भूमिका निभाई। उनके प्रयासों की वजह से बेंगलुरु को “भारत की सिलिकॉन वैली” का दर्जा मिला। उनके विजन और योजनाओं ने कर्नाटक को निवेश और तकनीकी विकास का केंद्र बनाया।
केंद्रीय विदेश मंत्री के रूप में योगदान
केंद्र की राजनीति में भी एस. एम. कृष्णा का योगदान उल्लेखनीय रहा। 2009 से 2012 तक वे भारत के विदेश मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने भारत की विदेश नीति को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत किया।
अन्य महत्वपूर्ण पद
एस. एम. कृष्णा ने 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। इस पद पर रहते हुए उन्होंने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को कुशलता से संभाला। उनके राजनीतिक जीवन की खासियत यह थी कि वे हमेशा विकास और जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता देते थे।
2017 में भाजपा में शामिल हुए
अपने लंबे राजनीतिक करियर के अधिकांश समय तक कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े रहने के बाद, 2017 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का निर्णय लिया। उनका यह कदम उस समय चर्चा का विषय बना।
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