बिहार विधानसभा चुनाव से पहले EC ने लिया बड़ा फैसला, वोटर लिस्ट के लिए आया नया अपडेट
इस दौरान बांग्लादेशी और विदेशी घुसपैठियों समेत उन लोगों की पहचान की जाएगी जो लंबे समय से राज्य से बाहर काम या कारोबार कर रहे हैं और उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जाएगा। आयोग ने 21 साल बाद यानी साल 2004 में बिहार में वोटर लिस्ट के सत्यापन के लिए इतना बड़ा अभियान चलाने का फैसला किया है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस और उसके अन्य सहयोगी दलों की ओर से चुनाव आयोग पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है। सतर्क चुनाव आयोग ने अब बिहार को लेकर बड़ा फैसला लिया है। जिसमें घर-घर जाकर राज्य की वोटर लिस्ट का सत्यापन किया जाएगा।
इस दौरान बांग्लादेशी और विदेशी घुसपैठियों समेत उन लोगों की पहचान की जाएगी जो लंबे समय से राज्य से बाहर काम या कारोबार कर रहे हैं और उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया जाएगा। आयोग ने 21 साल बाद यानी साल 2004 में बिहार में वोटर लिस्ट के सत्यापन के लिए इतना बड़ा अभियान चलाने का फैसला किया है।
घर-घर होगा वोटरों का सत्यापन
आयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के शुरू होने वाले पुनरीक्षण शुरू होने वाले अभियान के साथ ही सत्यापन का यह अभियान भी चलेगा। जो जुलाई के पहले हफ्ते से शुरू हो सकता है। आयोग वैसे भी मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने के अभियान में जुटा रहता है। जिसमें मतदाता सूची से दोहरे नामों को हटाना, मतदाताओं को वोटर लिस्ट में एक ही जगह से अपना नाम दर्ज कराने, मृत मतदाताओं के नामों को पहचान कर तुरंत हटाना और 18 वर्ष का उम्र पूरी करने वाले मतदाताओं को वोटर लिस्ट में तय समय पर शामिल करने जैसी पहल शामिल है।
चुनाव से पहले होता है मतदाता सूची का पुनरीक्षण
आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि मतदाता सूची में केवल वास्तविक और योग्य नागरिकों के नाम ही दर्ज हों। इसके लिए वह हर साल पूरे देश में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का नियमित अभियान चलाता है। साथ ही, किसी भी चुनाव और उपचुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण भी किया जाता है।
सूत्रों की मानें तो आयोग ने बिहार में घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन करने का यह फैसला तब लिया है, जब उसे बिहार के कई जिलों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों की मौजूदगी की खबरें मिल रही हैं। इनमें से कुछ ने तो गलत तरीके से भी अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा लिया है। इसके साथ ही बिहार में बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता हैं, जो लंबे समय से दूसरे राज्य में बसे हुए हैं, जहां वे मतदाता बन गए हैं। इसके बावजूद वे भी बिहार की मतदाता सूची में मौजूद हैं। आयोग के नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति एक ही जगह का मतदाता हो सकता है। खास तौर पर वह वहीं का मतदाता हो सकता है, जहां वह वर्तमान में रह रहा है।
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