डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत की एकता और अखंडता के लिए जीवन समर्पित किया, कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने दी श्रद्धांजलि

Jul 7, 2024 - 12:28
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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत की एकता और अखंडता के लिए जीवन समर्पित किया, कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने दी श्रद्धांजलि
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत की एकता और अखंडता के लिए जीवन समर्पित किया, कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने दी श्रद्धांजलि
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एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़: 

हरियाणा के उद्योग वाणिज्य तथा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग मंत्री मूलचंद शर्मा ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे एवं लोकसभा के सदस्य रहे स्वर्गीय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्मदिवस पर बल्लभगढ़ सेक्टर- 08 स्थित अपने कार्यालय में उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

एक देश, एक विधान और एक निशान थी सोच

मूलचंद शर्मा ने कहा कि 06 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी राष्ट्रभक्ति के आंचल में राष्ट्र पुरुष का निर्माण करने वाले एक ऐसे धर्मनिष्ठ, न्यायप्रिय और राष्ट्रभक्त माता-पिता की संतान थे, जिनकी प्रसिद्धि न केवल बंगाल में बल्कि सम्पूर्ण भारत में थी। 

वैसे तो जन्म वर्षगांठ अनेकों महापुरुषों की मनाई जाती हैं लेकिन वे पुण्यात्मा बहुत भाग्यशाली होते हैं, जिनके समर्थक उनकी विचारधारा पर चलने का काम करते है और उनके सपनों को साकार करते हैं। 

अखंड भारत के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का एक ही सपना था कि भारत में यानी एक देश में ‘दो निशान, दो विधान एवं दो प्रधान’ नहीं चलेंगे बल्कि एक देश, एक विधान और एक निशान होने चाहिए, ऐसी उनकी सोच और विचारधारा थी। 

जम्मू-कश्मीर राज्य का अलग संविधान बनाने के विरुद्ध श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपनी आवाज उठाई थी, वो इस राज्य के लिए अलग संविधान बनाने के पक्ष में नहीं थे। जम्मू-कश्मीर में लगाए गए अनुच्छेद 370 के खिलाफ मुखर रूप से आवाज़ उठाने वाले लोगों में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम सबसे पहले आता है। 

वे स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में मंत्री रहे थे जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के मसले पर अपना इस्तीफा दे दिया था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन समर्पित किया।

‘मुखर्जी के पदचिन्हों पर चल रहे हैं मोदी’

शर्मा ने कहा कि डॉ. मुखर्जी के पद चिन्हों पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की बागडोर अपने हाथों में ली है, तब से भारतीय संस्कृति की शिक्षा को आधार मानते हुए सारे विश्व में इसके प्रसार के लिए वे ‘अग्रदूत’ की भूमिका का निर्वहन कर न केवल भारतीय संस्कृति के ज्ञान को माध्यम बनाकर विश्व समुदाय को जीवन जीने का नया मार्ग बता रहे हैं, बल्कि भारत को एक बार फिर जगत गुरु के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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