नए वोटरों को लेकर बड़ा खुलासा, कहीं आपने भी तो नहीं की ये गलती?
इस दौरान नए वोट बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानने के लिए आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई थी। मांगी गई जानकारी के जवाब में पता चला कि भारत के चुनाव आयोग ने 2009 में सभी राज्यों के चुनाव अधिकारियों को निर्देश जारी किए थे
भारत में राजनीतिक दल या सरकार ही नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारी भी नियमों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पूरी तरह से पालन नहीं करते। यह तब है, जब यह सब उस प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके जरिए देश और राज्य की सरकार बनती है।
आपने सही समझा, विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इस दौरान नए वोट बनाने की प्रक्रिया के बारे में जानने के लिए आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई थी। मांगी गई जानकारी के जवाब में पता चला कि भारत के चुनाव आयोग ने 2009 में सभी राज्यों के चुनाव अधिकारियों को निर्देश जारी किए थे, जिसके अनुसार चुनाव अधिकारी प्रशासनिक कारणों से उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से दस दिन पहले ही नए मतदाताओं को अपना पंजीकरण कराने का अवसर प्रदान करते हैं।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
एडवोकेट हेमंत ने बताया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 23(3) के अनुसार नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने तक मतदाता सूची में नए नाम दर्ज किए जा सकते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 1977 में नरेंद्र मदीवालपा खेनी बनव माणिकराव पाटिल के मामले में इस कानूनी प्रावधान को दोहराया था।
अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक ही मौका
हेमंत ने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देश के बाद अब नए वोट बनवाने के इच्छुक मतदाताओं के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी करने की बजाय नए मतदाता को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से 10 दिन पहले तक ही अपना पंजीकरण करवाने का मौका दिया जाता है। इसके चलते हरियाणा में विधानसभा चुनाव में जारी मतदाताओं का आंकड़ा असल में 2 सितंबर तक का है, जबकि इसे 12 सितंबर तक दिखाया गया है।
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