1984 दंगा पीड़ितों को बड़ी राहत, LG ने नौकरी में छूट के प्रस्ताव को दी मंजूरी

Jan 5, 2025 - 22:48
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1984 दंगा पीड़ितों को बड़ी राहत, LG ने नौकरी में छूट के प्रस्ताव को दी मंजूरी
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दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना ने रविवार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को नौकरी देने के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता में पूरी छूट और 88 आवेदनों के लिए आयु में 55 वर्ष तक की छूट को मंजूरी दे दी। सरकारी सेवा में मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) के पद पर भर्ती के लिए ये छूट दी गई है।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जनप्रतिनिधियों और पीड़ित समूहों के साथ मिलकर हाल ही में हुई बैठकों में इस मामले पर LG को कई याचिकाएं सौंपी थीं। गृह मंत्रालय ने 16 जनवरी 2006 को पुनर्वास पैकेज लागू किया था, जिसमें 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए रोजगार के प्रावधान शामिल थे। इसके बाद चलाए गए विशेष अभियान में राजस्व विभाग को 72 आवेदन मिले, जिनमें से 22 आवेदकों को तत्कालीन एलजी से आयु में छूट मिलने के बाद नियुक्ति दे दी गई।

MTS पद के लिए शैक्षणिक योग्यता में पूर्ण छूट

अक्टूबर 2024 में सक्सेना ने विशेष अभियान के दौरान प्राप्त कुल 72 आवेदकों में से 50 छूटे हुए आवेदकों को एमटीएस पद के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता में पूर्ण छूट प्रदान की थी। राजस्व विभाग को उन आवेदकों के बच्चों में से किसी एक को रोजगार देने के मामलों पर कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया था, जिनमें आवेदक रोजगार की आयु पार कर चुके थे।

नवंबर में आयोजित किए गए विशेष शिविर

इन निर्देशों के बाद राजस्व विभाग ने 28 नवंबर 2024 से 30 नवंबर 2024 तक विशेष शिविर आयोजित किए और प्रमुख समाचार पत्रों में नोटिस प्रकाशित कर 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के परिजनों से आवेदन मांगे। इसके बाद कुल 199 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 89 उम्मीदवार पात्र पाए गए, हालांकि सभी की आयु आवश्यकता से अधिक थी और कुछ के पास आवश्यक शैक्षणिक योग्यता नहीं थी।

सिख दंगों के पीड़ितों की दुर्दशा का उल्लेख किया

छूट के लिए एलजी की मंजूरी से सरकारी सेवा में एमटीएस के रूप में नियुक्ति के लिए 88 आवेदकों की बाधाएं दूर हो जाएंगी। एलजी सक्सेना ने अपनी सहमति देते हुए 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों की दुर्दशा का विशेष रूप से उल्लेख किया है। जिसे उन्होंने भारतीय लोकतांत्रिक परंपराओं पर एक धब्बा बताया है, जहाँ एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय पर भयानक अत्याचार किए गए, मानवाधिकारों के सभी मानकों का उल्लंघन किया गया और जिसका असर कई परिवारों पर पड़ा।

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