सेक्स वर्कर्स को अधिकार देने वाला दुनिया का पहला देश बना बेल्जियम, जाने क्या अधिकार दिए ?
बेल्जियम ने 1 दिसंबर 2024 को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सेक्स वर्कर्स को अधिकार देने वाला कानून लागू कर दिया है।
बेल्जियम ने 1 दिसंबर 2024 को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सेक्स वर्कर्स को अधिकार देने वाला कानून लागू कर दिया है। इस कानून के तहत, सेक्स वर्कर्स को अब मैटर्निटी लीव, पेंशन, हेल्थ इंश्योरेंस, और सिक लीव जैसे अधिकार प्राप्त होंगे। साथ ही, उन्हें सेक्स से इनकार करने और छुट्टी लेने के कारण नौकरी से निकाले जाने से भी कानूनी सुरक्षा मिलेगी।
कानून का ऐतिहासिक महत्व
यह दुनिया में अपनी तरह का पहला कानून है, जो सेक्स वर्कर्स को मुख्यधारा के श्रमिकों के समान अधिकार देता है। इसके तहत सेक्स वर्कर्स को न केवल कानूनी संरक्षण मिलेगा, बल्कि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम है।
बेल्जियम में सेक्स वर्क एक पेशा
बेल्जियम ने साल 2022 में सेक्स वर्क को अपराधमुक्त घोषित किया था। यह निर्णय सेक्स वर्कर्स को अपराधी के बजाय एक पेशेवर के रूप में मान्यता देने की दिशा में था। इसके बाद से ही उनके लिए रोजगार सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और श्रम अधिकार देने की मांग बढ़ने लगी थी।
सेक्स वर्कर्स के अधिकार
इस कानून के तहत सेक्स वर्कर्स को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हुए हैं:
- मैटर्निटी और सिक लीव: अब वे गर्भावस्था या बीमारी के दौरान काम से छुट्टी ले सकती हैं और इस दौरान उनका रोजगार सुरक्षित रहेगा।
- पेंशन और स्वास्थ्य बीमा: अन्य पेशेवरों की तरह वे भी स्वास्थ्य सेवाओं और पेंशन के लाभ उठा सकेंगी।
- सेक्स से इनकार का अधिकार: ग्राहक की मांगों को न मानने पर उनके खिलाफ कोई कानूनी या रोजगार कार्रवाई नहीं की जा सकती।
- कानूनी संरक्षण: यौन उत्पीड़न, शोषण, या अन्य किसी प्रकार की हिंसा के खिलाफ उन्हें कानूनी सुरक्षा प्राप्त होगी।
सेक्स वर्कर्स के लिए बड़ा बदलाव
बेल्जियम के इस कदम को सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी पहल माना जा रहा है। यह कानून उन्हें मुख्यधारा में लाने और उनके कार्यस्थल को सुरक्षित बनाने में मदद करेगा।
अन्य देशों पर प्रभाव
बेल्जियम का यह मॉडल अन्य देशों के लिए एक उदाहरण बन सकता है, जहां सेक्स वर्कर्स अब भी कानूनी और सामाजिक सुरक्षा से वंचित हैं। इस पहल से यह संदेश मिलता है कि सभी कामगारों को उनके पेशे से परे, मानवाधिकारों और गरिमा के साथ जीने का हक है।
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