हरियाणा चुनाव से पहले चन्द्रशेखर आज़ाद ने किया बड़ा दावा, 'हम किसी के भरोसे नहीं रहेंगे'

सांसद चंद्रशेखर आजाद ने आगे कहा, "यहां किसान-समुदायों का गठबंधन है, जिसकी नींव काशीराम और ताऊ देवीलाल ने रखी थी। हम नौजवानों ने चुनौती ली है कि हम किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे, अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे।"

Sep 21, 2024 - 13:13
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हरियाणा चुनाव से पहले चन्द्रशेखर आज़ाद ने किया बड़ा दावा, 'हम किसी के भरोसे नहीं रहेंगे'
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आजाद समाज पार्टी-कांशीराम के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि मैं राजस्थान में बहुत कम अंतर से चूक गया था। राजस्थान में हम 12 सीटों पर तीसरे और 3 सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे, लेकिन हमारी कोशिश है कि हरियाणा में हम हारें नहीं।

सांसद चंद्रशेखर आजाद ने आगे कहा, "यहां किसान-समुदायों का गठबंधन है, जिसकी नींव काशीराम और ताऊ देवीलाल ने रखी थी। हम नौजवानों ने चुनौती ली है कि हम किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे, अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे।"

‘राजनीति में जिनकी पास ताकत नहीं होती वो कोई काम नहीं कर पाते’

आजाद समाज पार्टी कांशीराम के अध्यक्ष आजाद ने आगे कहा, "इतिहास गवाह है कि जब भी कोई युवा खड़ा हुआ है, उसने लोगों का भला किया है। जब भगत सिंह खड़े हुए, तो गोरे भाग गए। यहां की सरकारों को भी सबक सिखाना होगा और अपने लोगों को मौका देना होगा। मेरा मानना ​​है कि जिनके पास राजनीति में ताकत नहीं है, वे कोई काम नहीं कर सकते।" उन्होंने आगे कहा, "हमें राजनीतिक ताकत हासिल करनी है, हमें किसानों और मजदूरों का भला करना है। हमें अपनी बहनों और बेटियों के सम्मान की रक्षा करनी है। हमें अपनी फसलों और अपनी नस्लों पर दुश्मन की नजर न पड़ने देने की जिम्मेदारी का एहसास है।"

'हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टियों को देंगे ताकत'

सांसद आजाद ने कहा कि पहले हरियाणा-उत्तर प्रदेश तय करते थे कि दिल्ली की कुर्सी पर कौन बैठेगा, अब दिल्ली में ऐसे लोग बैठे हैं जो जिसे चाहें बना देते हैं और जिसे चाहें हटा देते हैं। इससे हरियाणा का साहस कम हुआ है। हम हरियाणा का साहस कम नहीं होने देंगे। हम हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टियों को ताकत देंगे। ताकि लोग बुनियादी समस्याओं पर ध्यान दें। दिल्ली को क्या पता कि खेतों में क्या समस्या है। दिल्ली के लोगों को तो यह भी नहीं पता कि आलू पेड़ पर उगता है या नीचे।

उन्हें चिप्स के बारे में पता है और यह भी कि कंपनियों को उनका पूरा पैसा मिलना चाहिए। लेकिन हमें किसानों और मजदूरों की चिंता है। उन्हें नहीं पता कि न्यूनतम मजदूरी क्या होती है, घर कैसे चलाना है, किस पेड़ पर क्या उगता है। हम किसान हैं, हमें सब पता है, इसलिए हमें अपने लोगों की चिंता है।

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