सेशन बुलाने के बाद स्थगित करनी पड़ेगी विधानसभा, स्पीकर को बतानी होगी सेशन की अगली तारीख, जानिए क्या कहते हैं नियम ?

हरियाणा विधानसभा से स्पेशल सचिव के पद से सेवानिवृत और संविधान के जानकार रामनारायण यादव ने नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा सत्र को लेकर कुछ रोचक जानकारी सांझा की है। 

Oct 19, 2024 - 19:11
Oct 19, 2024 - 19:06
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सेशन बुलाने के बाद स्थगित करनी पड़ेगी विधानसभा, स्पीकर को बतानी होगी सेशन की अगली तारीख, जानिए क्या कहते हैं नियम ?
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चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : हरियाणा में 15वीं विधानसभा के गठन और कैबिनेट के शपथ ग्रहण के बाद अब विधायकों की शपथ और विधानसभा सेशन का तारीख को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में हरियाणा विधानसभा से स्पेशल सचिव के पद से सेवानिवृत और संविधान के जानकार रामनारायण यादव ने नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा सत्र को लेकर कुछ रोचक जानकारी सांझा की है। 

बंसीलाल ने दिलाई थी 54 दिन बाद शपथ

यादव ने बताया कि नई सरकार के गठन के बाद विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर कई समय सीमा तय नहीं है। पूर्व में हरियाणा विधानसभा में नई सरकार के गठन के बाद 3 से 54 दिन बाद तक भी शपथ ग्रहण का रिकॉर्ड है। उन्होंने बताया कि 1968 में चौधरी बंसीलाल ने दिल्ली में सिंचाई विभाग के विश्राम गृह में शपथ ली थी। उसके 54 दिन के बाद विधायकों का शपथ ग्रहण हुआ था। इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 15 दिन बाद शपथ ली थी। 

एक दिन का सत्र बुलाकर कर सकते हैं स्थगित

रामनारायण यादव ने बताया कि विधानसभा के पहले सेशन और साल के पहले सेशन में राज्यपाल का संबोधन होना जरुरी होता है। यह एक संवैधानिक बाध्यता है। एक दिन का सेशन बुलाकर स्पीकर का चयन करने के बाद राज्यपाल विधानसभा में संबोधित करते हैं, जिस पर धन्यवाद प्रस्ताव पास करना होता है। इसके बाद स्पीकर की ओर से सेशन की अगली तारीख में अधिकतम 15 दिन का अंतर डाला जा सकता है। ऐसे में एक दिन का सेशन बुलाकर उसे आगे के लिए स्थगित किया जा सकता है, लेकिन इस दौरान सेशन की अगली तारीख बतानी होती है, जब फिर से सेशन की शुरूआत होगी। एक दिन का सेशन बुलाकर उसे स्थगित कर कुछ दिनों का अंतर डालकर फिर से बुलाए गए सेशन को एक ही माना जाएगा।

सेशन के अनुसार होगी सरकार की अवधि

रामनारायण यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री जब विधानसभा का सत्र बुलाते हैं। नई सरकार का कार्यकाल उसी के अनुसार तय होता है। विधानसभा सेशन के पहले दिन से ही सरकार का कार्यकाल शुरू माना जाता है, जबकि विधानसभा के सदस्यों के भत्ते उससे पहले ही शुरू हो जाते हैं।

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