आखिर कौन हैं ये रजाकार? शेख हसीना के इस एक शब्द ने कैसे हिंसा की आग में डाल दिया घी

तुई के? अमी के? रजाकार, रजाकार यानी की आप कौन हैं? मैं कौन हूं? रजाकार, रजाकार…. दरअसल भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक शब्द रजाकार आग की तरह फैल गई है।

Jul 21, 2024 - 15:29
Jul 22, 2024 - 10:47
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आखिर कौन हैं ये रजाकार? शेख हसीना के इस एक शब्द ने कैसे हिंसा की आग में डाल दिया घी

तुई के? अमी के? रजाकार, रजाकार यानी की आप कौन हैं? मैं कौन हूं? रजाकार, रजाकार….दरअसल भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक शब्द रजाकार आग की तरह फैल गई है। दरअसल बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर कई दिनों से जारी विरोध प्रदर्शनों में जैसे ही इस शब्द की एंट्री हुई मामला काफी बढ़ गया। मामला इतना बढ़ गया कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने बीते शुक्रवार को बांग्लादेश में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की। छात्रों के प्रदर्शन, आरक्षण का पैमाना बदलने के बीच आखिर रजाकार क्या है जिसकी एंट्री से ही बांग्लादेश में आग भड़क गई है?

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण लागू करने के विरोध में कई हफ्तों से विरोध-प्रदर्शन और हिंसा हो रही है। इनका कहना है कि यह भर्ती प्रक्रिया भेदभावपूर्ण है साथ ही उच्च वेतन वाली सरकारी नौकरियों के लिए बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के युद्ध नायकों के बच्चों और पोते-पोतियों का पक्ष लेती है। प्रदर्शनकारी योग्यता के आधार पर भर्ती करने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में बांग्लादेश में, इनमें एक तिहाई सरकारी पद उन लोगों के बच्चों के लिए आरक्षित रखे गए हैं जिन्होंने 1971 में देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। इनमें से कुछ पद महिलाओं और विकलांगों के लिए भी आरक्षित हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और इससे पीएम शेख हसीना के समर्थकों को लाभ मिलता है। उनकी मांग है कि इसे मेरिट के आधार पर किया जाए।

बता दें कि छात्रों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प में अब तक सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई है और ढाई हजार से ज्यादा घायल हो गए हैं। इस बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि, आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को नहीं तो क्या रजाकारों के वंशजों को दिया जाना चाहिए? इस पर आंदोलनकारी छात्र भड़क गए और उन्होंने 'रजाकार' शब्द को ही सरकार के खिलाफ अपना हथियार बना लिया है, शेख हसीना के बयान से नाराज कुछ प्रदर्शनकारी छात्रों ने पलटवार करते हुए तुई के, अमी के, रजाकार, रजाकार के नारे लगाने शुरू कर दिए। विरोध प्रदर्शनों के बीच जैसे ही कुछ छात्रों ने खुद को रजाकार कहा मामला और बिगड़ गया। इस घटना ने देश में भारी विवाद खड़ा कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी टेलीविजन स्टेशन में आग लगा दी। हिंसा के कारण रेल सेवाओं को बंद करना पड़ा। देश के कई हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है। स्कूल कॉलेज भी अनिश्चितकाल के लिए बंद हैं और आखिर में कर्फ्यू लगाना पड़ा।बता दें कि रजाकार शब्द बांग्लादेश में एक अपमानजनक शब्द है जिसका इस्तेमाल देशद्रोहियों और अत्याचारियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। रजाकारों ने पाकिस्तानी सेना के लिए जासूसी का काम किया साथ ही बांग्लादेश के लोगों को भयभीत किया। रजाकार जिसका अर्थ होता है स्वयंसेवक या सहायक। कई पाकिस्तान समर्थक बंगाली थे जो पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के विभाजन के खिलाफ थे। 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान इन्होंने पाकिस्तानी सेना का साथ दिया था ।

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