धर्म संसद में संतों की मुहर से पहले लगा बड़ा झटका! अखाड़ा परिषद् ने किया किनारा
सूत्रों के मुताबिक कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर द्वारा धर्म संसद बुलाने पर संतों में पहले से ही मतभेद था। अब अखाड़ा परिषद ने सीधे तौर पर धर्म संसद से खुद को अलग कर लिया है। देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन बोर्ड के मुद्दे पर धर्म संसद बुलाई है।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ में सोमवार को धर्म संसद का आयोजन होना है। जानकारी के मुताबिक आज धर्म संसद में सनातन बोर्ड के गठन की मांग उठाई जाएगी। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने धर्म संसद बुलाई है। जिसमें कई संत हिस्सा लेंगे। हालांकि अखाड़ा परिषद ने इससे खुद को अलग कर लिया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि भीड़ के चलते अखाड़ा परिषद ने धर्म संसद से खुद को अलग कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर द्वारा धर्म संसद बुलाने पर संतों में पहले से ही मतभेद था। अब अखाड़ा परिषद ने सीधे तौर पर धर्म संसद से खुद को अलग कर लिया है। देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन बोर्ड के मुद्दे पर धर्म संसद बुलाई है।
संतों की क्या है मांग?
संतों की मांग है कि उन्हें मंदिर प्रबंधन का अधिकार मिले और सनातन बोर्ड का गठन किया जाए। संतों की मांग के अनुसार इस बोर्ड में 13 अखाड़ों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। इसमें 200 प्रमुख मंदिर शामिल किए जाएंगे। धर्म संसद के बाद केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा। मांग है कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किया जाए। इससे पहले देवकीनंदन ठाकुर ने कहा था कि सनातनियों की नींद खुल रही है और वे एक ही चीज चाहते हैं कि कोई भी उनकी आस्था के साथ विश्वासघात न करे।
हमारी पूजा संस्कृति हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहे। उन्होंने इस धर्म संसद को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, अपने अधिकारों के लिए, अपनी बहन-बेटियों की सुरक्षा के लिए और सनातन की रक्षा के लिए हम अपने प्राणों की आहुति देकर भी सनातन को आहत नहीं होने देंगे। मुट्ठी भर विधर्मियों ने सनातन को चुनौती देने का दुस्साहस किया है। मैं भारत के सनातनियों से आग्रह करता हूं कि वे सत्य पर विश्वास करें और नींद से जागकर धर्म की रक्षा के लिए एक बार फिर एकजुट हों।
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