दो चरणों में होगी 2027 की डिजिटल जनगणना, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव का बड़ा ऐलान…
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज कैबिनेट की अहम बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आज तीन बड़े फैसले लिए गए। इनमें एक जनगणना से जुड़ा है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज कैबिनेट की अहम बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आज तीन बड़े फैसले लिए गए। इनमें से एक जनगणना से संबंधित है। आपको बता दें कि आगामी जनगणना 1 मार्च 2027 तक निर्धारित की गई है, जिसकी प्रक्रिया दो चरणों में संपन्न होगी। पहला चरण अप्रैल 2026 से सितंबर 2026 तक चलेगा, जबकि दूसरा चरण फरवरी 2027 में पूरा हो जाएगा।
2027 में होगी देश की पहली डिजिटल जनगणना
आज हुई कैबिनेट बैठक में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की कि वर्ष 2027 में देश की पहली डिजिटल जनगणना कराई जाएगी। इसके लिए सरकार ने लगभग 11,718 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है। यह जनगणना दो चरणों में कराई जाएगी और 2027 में पूरी होगी।
जनगणना में महत्वपूर्ण बदलाव
2027 की जनगणना से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जानकारी यह है कि इसमें जाति आधारित गणना को भी शामिल किया जाएगा। इसी सिलसिले में मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बढ़ती घरेलू उत्पादन क्षमता का उल्लेख किया और बताया कि घरेलू उत्पादन बढ़ने से देश को लगभग 60,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हो रही है। यह सरकार के आर्थिक निर्णयों की बड़ी सफलता दर्शाता है।
‘कोल सेतु’ योजना से बढ़ेगी आत्मनिर्भरता
सरकार ने ‘कोल सेतु’ योजना के विस्तृत मानदंडों को भी मंजूरी दी है। इस योजना के तहत व्यापारियों के अलावा कोयले के उपयोग पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं होगा, और कोई भी इसमें भाग ले सकेगा। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य भारत को कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है। इसी के चलते देश की विदेशी कोयले पर निर्भरता कम हो रही है। वर्ष 2024-25 में 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन हुआ है और घरेलू पावर प्लांट्स में रिकॉर्ड-तोड़ कोयला स्टॉक मौजूद है।
जनगणना क्यों है जरूरी?
जनगणना 1 मार्च 2027 तक निर्धारित की गई है, जिसकी प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होगी। दरअसल, जनगणना किसी भी देश की नीतियों, योजनाओं और प्रशासनिक क्षमताओं की रीढ़ मानी जाती है। यह केवल जनसंख्या की संख्या ही नहीं बताती, बल्कि उम्र, धर्म, भाषा, रोजगार, आवास, तथा घर में उपलब्ध सुविधाओं से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े भी एकत्र करती है। इसके अलावा यह डेमोग्राफी, अर्थशास्त्र, मानवशास्त्र, समाजशास्त्र तथा सांख्यिकी के शोधकर्ताओं को विशाल और विश्वसनीय डेटा प्रदान करती है।
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