विधानसभा चुनाव में कायम रहेगा हरियाणा का राजनीतिक ट्रेंड या टूट जाएगी पंरपरा? हरियाणा को भाती है डबल इंजन की सरकार

हरियाणा में सत्ता के सिंहासन के लिए 2024 के रण का बिगुल बज चुका है। प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान होगा। चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही सूबे का राजनीतिक पारा भी ऊपर चढ़ने लगा है। इस बार मुख्य मुकाबला प्रदेश की सत्तासीन पार्टी बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच होने के आसार है।

Aug 25, 2024 - 13:51
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विधानसभा चुनाव में कायम रहेगा हरियाणा का राजनीतिक ट्रेंड या टूट जाएगी पंरपरा? हरियाणा को भाती है डबल इंजन की सरकार
विधानसभा चुनाव में कायम रहेगा हरियाणा का राजनीतिक ट्रेंड या टूट जाएगी पंरपरा? हरियाणा को भाती है डबल इंजन की सरकार

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़:

हरियाणा में सत्ता के सिंहासन के लिए 2024 के रण का बिगुल बज चुका है। प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में मतदान होगा। चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही सूबे का राजनीतिक पारा भी ऊपर चढ़ने लगा है। इस बार मुख्य मुकाबला प्रदेश की सत्तासीन पार्टी बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच होने के आसार है। हालांकि इनके अलावा इनेलो, जेजेपी, आप और हलोपा समेत कई अन्य छोटे दल भी चुनावी रण में अपने तरकश के तीर छोड़ रहे हैं, लेकिन पिछले कई सालों के इतिहास को देखे तो हरियाणा में 1999 के बाद से लोगों ने डबल इंजन की सरकार को ही पसंद किया है। 

मतलब कि 1999 के बाद से हरियाणा में उसी दल या गठबंधन की सरकार बनी है, जो केंद्र में सत्तासीन होता है। यानि हरियाणा के लोग पिछले 25 साल से 'डबल इंजन' सरकार को ही पसंद करते आ रहे हैं। यह चुनावी परंपरा इस बार भी बरकरार रहेगी या नहीं, इसका फैसला तो प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही होगा और यह देखना भी काफी रोमांचक होगा कि पिछले करीब ढाई दशक से चल रहे इस चुनावी ट्रेंड का वर्तमान में क्या होगा?

1999 से शुरू हुआ सिलसिला

हरियाणा में ‘डबल इंजन’ की सरकार का सिलसिला 1999 में शुरू हुआ। उस समय ओपी चौटाला की इनेलो ने भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव और प्रदेश की सभी 10 सीटों पर बीजेपी-इनेलो गठबंधन ने जीत दर्ज की थी। उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए की सरकार बनी थी। इसके एक साल बाद 2000 में विधानसभा चुनाव भी इनेलो और बीजेपी ने मिलकर लड़ा और 90 में से 53 सीट हासिल की, जबकि कांग्रेस के खाते में केवल 21 सीट ही आई थी। 

कांग्रेस के समय भी जारी रही परंपरा

साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए गठबंधन को बहुमत मिला। हरियाणा में भी कांग्रेस ने 9 लोकसभा सीट जीतीं, जबकि बीजेपी को केवल एक ही सीट पर  सफलता मिली। इसके एक साल बाद 2005 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। हरियाणावासियों ने एक बार फिर डबल इंजन की सरकार ही चुनी और कांग्रेस को विधानसभा की 67 सीटें जीता दीं। इस दौरान भजनलाल की अगुवाई में चुनाव होने के बावजूद भारी बहुमत आने पर कांग्रेस हाई कमान ने उनके स्थान पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पहली बार प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बनाया। 

2009 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर केंद्र में यूपीए की सरकार बनी। इस चुनाव में भी कांग्रेस ने प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों में से 9 पर जीत हासिल की, जबकि एक सीट पर कांग्रेस से अलग होकर बनी हरियाणा जनहित पार्टी ने जीत दर्ज की। इसी एक साल के अंत में हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में हालांकि कांग्रेस पूर्ण बहुमत नही हासिल कर पाई। हरियाणा में कांग्रेस को 2009 के विधानसभा चुनाव में 90 में से 40 सीट पर जीत मिली। इस पर भूपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा जनहित कांग्रेस के 6 में से 5 विधायकों को अपने पाले में कर लिया। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर जीते एकमात्र विधायक अकरम खान ने भी कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया, जिसके केंद्र और प्रदेश में एक बार फिर से कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार बनी। 

2014 में केंद्र और हरियाणा में हुआ सत्‍ता परिवर्तन

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के अगुवाई वाले एनडीए को भारी बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा को सात सीटें, जबकि 2 सीट पर इनेलो और एक सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। लोकसभा के कुछ माह बाद हुए हरियाणा विधानसभा के चुनाव में हरियाणा के लोगों ने भी केंद्र की तरह से ही बीजेपी को प्रचंड बहुमत देकर प्रदेश में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनाई। इस दौरान बीजेपी ने पहली बार अकेले अपने दम पर प्रदेश में 47 सीट जीतकर सरकार बनाई थी, जिसमें मनोहर लाल को मुख्यमंत्री बनाया गया था। 

2019 में भी दोहराया इतिहास

2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र में फिर से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बहुमत मिला। इस दौरान बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की। पूर्व की तरह लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद हरियणा में हुए विधानसभा चुनाव में इस बार किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इस दौरान बीजेपी 40 सीट जीतकर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आईए। बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी और आजाद विधायकों की मदद से एक बार फिर से प्रदेश में सरकार बनाई। यानि हरियाणा में एक बार फिर से उसी दल की सरकार बनी, जिसकी केंद्र में सरकार थी।

अब 2024 पर टिकी निगाहें

हरियाणा में 2009 से चले आ रहे राजनीतिक ट्रेंड के चलते इस बार 2024 के चुनावी परिणाम पर सबकी निगाहें लगी हुई है, क्योंकि इस बार केंद्र में लगातार तीसरी बार बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की ही सरकार है और नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं। ऐसे में चर्चा यहीं है कि क्या केंद्र की तरह से हरियाणा में भी बीजेपी तीसरी बार हैट्रिक लगा पाएगी, या फिर दशकों से चल रही चुनावी परंपरा 2024 के इस चुनाव में टूट जाएगी। खैर इसका पता तो विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही चलेगा। 

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