पत्नी का किसी व्यक्ति को गुप्त फोन करना पति पर मानसिक और शारीरिक क्रूरता के सामान, तलाक के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की टिप्पणी

पारिवारिक कोर्ट की ओर से मंजूर किए गए तलाक के एक मामले पर निर्णय सुनाते पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के रिश्ते के आधार की परिभाषा को स्पष्ट किया है। कोर्ट ने कहा कि विश्वास विवाह की नींव है और यदि एक-दूसरे पर विश्वास नहीं है तो दंपत्ति साथ नहीं रह सकते। कोर्ट ने कहा कि पति और पत्नी का रिश्ता विश्वास पर आधारित होता है और यदि एक पति या पत्नी दूसरे पर विश्वास खो देता है, तो वे एक छत के नीचे साथ नहीं रह सकते।

Sep 15, 2024 - 12:45
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पत्नी का किसी व्यक्ति को गुप्त फोन करना पति पर मानसिक और शारीरिक क्रूरता के सामान, तलाक के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की टिप्पणी
पत्नी का किसी व्यक्ति को गुप्त फोन करना पति पर मानसिक और शारीरिक क्रूरता के सामान, तलाक के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की टिप्पणी

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़:

पारिवारिक कोर्ट की ओर से मंजूर किए गए तलाक के एक मामले पर निर्णय सुनाते पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के रिश्ते के आधार की परिभाषा को स्पष्ट किया है। कोर्ट ने कहा कि विश्वास विवाह की नींव है और यदि एक-दूसरे पर विश्वास नहीं है तो दंपत्ति साथ नहीं रह सकते। कोर्ट ने कहा कि पति और पत्नी का रिश्ता विश्वास पर आधारित होता है और यदि एक पति या पत्नी दूसरे पर विश्वास खो देता है, तो वे एक छत के नीचे साथ नहीं रह सकते।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की पीठ ने दंपति के बीच विश्वास पूरी तरह से टूटने का हवाला देते हुए हिंदू विवाह अधिनियम के परविधान के तहत एक मामले में पारिवारिक कोर्ट की ओर से पति को तलाक देने के फैसले को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट की पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि दंपति 4 नवंबर, 2018 से अलग रह रहे थे। 

कोर्ट का मानना था कि लंबे समय तक अलग रहना, जो अब छह साल के करीब पहुंच रहा है, एक महत्वपूर्ण कारक था क्योंकि किसी भी पक्ष ने अपने वैवाहिक संबंधों को फिर से शुरू करने या फिर से शुरू करने का कोई प्रयास नहीं किया, जो स्पष्ट रूप से विवाह के अपूरणीय टूटने का संकेत देता है। पीठ ने पाया कि पति ने दावा किया कि उसने अपनी पत्नी पर पूरी तरह से विश्वास खो दिया है। 

पत्नी द्वारा अपने ससुर के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों से विश्वास की कमी और बढ़ गई। महिला सेल में की गई अपनी शिकायत में उसने अपने ससुर पर कई मौकों पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया और कहा गया कि उसके ससुर के मन में उसके प्रति बुरी नियत है, लेकिन पारिवारिक न्यायालय ने साक्ष्यों और गवाहों की जांच करने के बाद आरोपों को निराधार पाया, जिससे पत्नी का मामला और कमजोर हो गया। 

पीठ ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि पारिवारिक न्यायालय ने गवाहों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों की जांच करने के बाद पत्नी के विवाहेतर संबंध से इनकार करने पर विश्वास नहीं किया। उसने माना कि अपीलकर्ता-पत्नी द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को गुप्त फोन काल करना मानसिक और शारीरिक क्रूरता के बराबर है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि विश्वास किसी भी विवाह की आधारशिला है। एक बार यह विश्वास खत्म हो जाने के बाद, दंपत्ति के लिए साथ रहना असंभव हो जाता है। 

पीठ ने यह भी कहा कि पत्नी का व्यवहार, विशेष रूप से अपने ससुर के खिलाफ गंभीर और निराधार आरोप, उसके पति और उसके परिवार के लिए संभावित खतरा पैदा करते हैं। अगर विवाह जारी रहता है, तो इससे और नुकसान हो सकता है। कोर्ट ने दंपत्ति के बच्चों के कल्याण को भी ध्यान में रखा। 

पीठ ने चिंता व्यक्त की कि यदि विवाह विच्छेद नहीं किया गया तो पत्नी के आचरण का बच्चों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। कोर्ट ने कहा कि न्याय पक्षकारों के बीच विवाह विच्छेद की मांग करता है। इसी के साथ कोर्ट ने पत्नी की अपील को खारिज करते हुए पारिवारिक न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। इस मामले में पत्नी ने तलाक के फैसले को रद्द करने की गुहार लगाई थी।

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