लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी के वीसी का अतिरिक्त प्रभार देने को हाईकोर्ट में चुनौती, नोटिस जारी

हरियाणा पशुपालन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के वीसी का अतिरिक्त प्रभार सौंपेने को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

Sep 15, 2024 - 12:50
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लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी के वीसी का अतिरिक्त प्रभार देने को हाईकोर्ट में चुनौती, नोटिस जारी
लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी के वीसी का अतिरिक्त प्रभार देने को हाईकोर्ट में चुनौती, नोटिस जारी

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़:

हरियाणा पशुपालन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के वीसी का अतिरिक्त प्रभार सौंपेने को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। 

लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल ने बताया कि हाईकोर्ट ने 22 अगस्त 2024 को आदेश जारी कर तत्काली वीसी को नियमों के खिलाफ जाकर नियुक्ति देने के चलते हटाने का निर्देश दिया था। नए वीसी की नियुक्ति होने तक वरिष्ठतम प्रोफेसर को प्रभार सौंपने और कुलपति की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू करने का भी आदेश दिया था। 

इसके बाद पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ने पशुपालन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को कुलपति का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था। याची ने 4 सितंबर 2024 को इस संबंध में जारी आदेश को चुनौती दे दी। याची के वकील सरदविंदर गोयल ने हाईकोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 20 के अनुसार केवल प्रतिष्ठित पशु चिकित्सक ही कुलपति का पद संभाल सकता है। फिर चाहे नियमित आधार पर या अस्थायी व्यवस्था पर, वह भी विश्वविद्यालय बोर्ड की सिफारिशों पर। 

कुलाधिपति को विश्वविद्यालय बोर्ड की सिफारिश के बिना अपने आप अतिरिक्त कार्यभार देने का कोई अधिकार नहीं है। जिस व्यक्ति को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, वह न तो प्रतिष्ठित पशु चिकित्सक है और न ही उनके नाम की बोर्ड ने सिफारिश की थी। वे अतिरिक्त प्रभार पर भी कुलपति का पद संभालने के लिए अयोग्य हैं। विश्वविद्यालय के सर्वोच्च पदों का प्रभार देने में इस तरह की अवैधताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सभी सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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