न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू होने से किसान अपनी उपज भारतीय जूट निगम के संग्रह केंद्रों में बेच सकते हैं। पश्चिम बंगाल में करीब पांच-छह लाख लोग जूट की खेती करते हैं।
पैकेजिंग के अलावा, जूट का इस्तेमाल फैशन फैब्रिक, कालीन बैकिंग के कपड़़े और कैनवस बनाने के लिए किया जाता है।