विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मोदी के असम दौरे से पहले विरोध प्रदर्शन किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो-दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को असम पहुंचने से पहले विपक्षी दलों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के खिलाफ नगांव जिले के कलियाबोर में प्रदर्शन किया।

सोलह-सदस्यीय ‘यूनाइटेड अपोजिशन फोरम, असम’ (यूओएफए) ने काजीरंगा के समीप धरना प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री का यहां रात्रि विश्राम का कार्यक्रम है।

यूओएफए प्रवक्ता और रैजर दल के प्रमुख अखिल गोगोई ने कहा कि पहले शनिवार को प्रदर्शन किया जाना था, लेकिन अहोम समुदाय के संगठनों के अनुरोध पर यह एक दिन पहले किया गया।

गोगोई ने प्रदर्शन स्थल पर पत्रकारों से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री अहोम समुदाय के जनरल लाचित बोरफुकान की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। ऐसे में, समुदाय ने हमसे विरोध प्रदर्शन की तारीख बदलने का अनुरोध किया। इसलिए हम एक दिन पहले विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि सीएए असमिया लोगों की पहचान के लिए खतरा है और वे इसका विरोध करते रहेंगे।

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने प्रदर्शन में भाग लेते हुए कहा, ‘‘सरकार हमारी आवाज नहीं दबा सकती। हमने प्रधानमंत्री को राज्य में सीएए के विरोध के बारे में बताने के लिए उनसे मुलाकात का वक्त मांगा था, लेकिन हमें अभी तक इस पर जवाब नहीं मिला है।’’

कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता देबब्रत सैकिया ने कहा कि सीएए के खिलाफ विरोध जारी रहेगा।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सैकिया ने कहा, ‘‘सरकार हमें दबाने के लिए सभी हथकंडों और ताकत का इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन लोग सीएए के विरोध को लेकर अडिग हैं और हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।’’

यूओएफए, अखिल असम छात्र संघ (आसू) और 30 अन्य संगठनों ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने की पहले घोषणा की थी। सीएए में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में आने वाले हिंदुओं, जैन, ईसाइयों, सिख, बौद्ध तथा पारसियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सीएए का विरोध करने वाले लोगों से आंदोलन करने के बजाय अपनी शिकायतों के निवारण के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करने का अनुरोध किया है।

PM मोदी से असम CM ने की मुलाकात, आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यहां मुलाकात की और राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग की। जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पीएम मोदी और सीएम रेड्डी की मुलाकात की जानकारी दी।

असम में बस-ट्रक की टक्कर, 12 लोगों की मौत, 30 अन्य घायल

असम के गोलाघाट जिले में बुधवार को कोयला ले जारहे एक ट्रक और बस की आमने-सामने की टक्कर में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई, वहीं 30 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।

भूटान नरेश असम के काजीरंगा में जंगल सफारी का आनंद लेंगे

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक शनिवार को असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में जंगल सफारी का आनंद लेंगे।

पहली बार असम की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन भूटान नरेश ने गुवाहाटी के गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जोरहाट हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी। जोरहाट हवाईअड्डे से वह सड़क मार्ग से राष्ट्रीय उद्यान जाएंगे।

भूटान नरेश को गुवाहाटी हवाई अड्डे पर असम के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री रंजीत कुमार दास, गुवाहाटी के महापौर मृगेन सरानिया, मुख्य सचिव पबन कुमार बोरठाकुर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने विदायी दी।

शहर के होटल से निकलने से पहले असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगु, विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षकों और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे मुलाकात की।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि भूटान नरेश और उनका दल मिहिमुख गेट से मध्य कोहोरा रेंज में दोपहर को खुली जीप में जंगल सफारी करेगा।

भूटान नरेश शाम को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम और मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा द्वारा आयोजित रात्रिभोज में भाग लेंगे। वह पर्यावरणविदों और संरक्षण विशेषज्ञों से भी मुलाकात करेंगे।

भूटान नरेश रविवार को जोरहाट हवाई अड्डे से दिल्ली के लिए रवाना होंगे। वह भारत की आठ दिवसीय यात्रा पर आए हैं।

भूटान नरेश शुक्रवार से असम की तीन-दिवसीय यात्रा पर रहेंगे

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक शुक्रवार से असम की तीन-दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। वांगचुक की यह यात्रा भूटान के किसी भी राजा की पहली असम यात्रा होगी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

वांगचुक यहां विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे तथा यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल ‘काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान’ भी जाएंगे।

‘भूटान इंडिया फ्रेंडशिप एसोसिएशन’ के उपाध्यक्ष दाशो त्सेरिंग वांग्दा ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘इतिहास में अभी तक भूटान के किसी भी राजा द्वारा असम की आधिकारिक यात्रा नहीं की गई है। आधिकारिक जिम्मेदारियों और भौगोलिक वास्तविकताओं के कारण पहले नयी दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ बातचीत होती थी।’’

उन्होंने कहा, “भूटान नरेश अब असम की ऐतिहासिक यात्रा करेंगे, दोनों देशों की दोस्ती को मजबूत करेंगे और क्षेत्र में अभूतपूर्व शांति सुनिश्चित करने में दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए असम और भारत के साथ एकजुटता दर्शाएंगे।”

भारत और भूटान के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों का उल्लेख करते हुए वांग्दा ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद की समस्या के कारण ‘थोड़े वक्त के लिए परेशानी’ आई थी और कई उग्रवादी संगठनों ने उनकी (भूटान की) सीमा के अंदर भी शिविर लगाए थे।