पंजाब में राज्य सहकारी बैंक फसल अवशेष प्रबंधन पर 80% तक सब्सिडी कर रहे हैं प्रदान

धान की पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, राज्य भर के राज्य सहकारी बैंकों ने फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना शुरू की है। इस योजना के बारे में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनरी खरीदने के लिए ग्रामीण ऋण आसानी से उपलब्ध कराना है, ताकि धान की पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके।

Oct 7, 2024 - 08:35
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पंजाब में राज्य सहकारी बैंक फसल अवशेष प्रबंधन पर 80% तक सब्सिडी कर रहे हैं प्रदान
पंजाब में राज्य सहकारी बैंक फसल अवशेष प्रबंधन पर 80% तक सब्सिडी कर रहे हैं प्रदान
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धान की पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, राज्य भर के राज्य सहकारी बैंकों ने फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना शुरू की है। इस योजना के बारे में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनरी खरीदने के लिए ग्रामीण ऋण आसानी से उपलब्ध कराना है, ताकि धान की पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके।

उन्होंने बताया कि यह योजना चंडीगढ़ स्थित राज्य सहकारी बैंक और जिला सहकारी बैंकों की 802 शाखाओं में शुरू की गई है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि किसान सरल और आसान प्रक्रिया के माध्यम से इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांवों में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां और अन्य प्रगतिशील किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां या अन्य संस्थाएं कॉमन हायरिंग सेंटर योजना के तहत कृषि उपकरणों की खरीद पर 80 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ उठा सकती हैं।

इसी तरह भगवंत सिंह मान ने कहा कि प्रगतिशील किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बेलर और सुपरसीड जैसे कृषि उपकरणों की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना धान की पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में सहायक सिद्ध होगी। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यह योजना किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने में भी सहायक सिद्ध होगी। 

भगवंत सिंह मान ने किसानों के कल्याण को हर संभव तरीके से सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए किसानों से इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य जोर पराली जलाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की मात्रा को कम करने तथा जैव-ऊर्जा संयंत्रों को समर्थन देने के लिए कृषि अवशेष आपूर्ति श्रृंखला में उद्योग-किसानों की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर है।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस पहल से किसानों से लेकर जैव ऊर्जा उद्योग तक कृषि अवशेष बायोमास आपूर्ति श्रृंखला की स्थापना के माध्यम से इस प्रदूषण से बचने में मदद मिलेगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि बिजली उत्पादन इकाइयां, संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र, 2G इथेनॉल कारखाने अपनी फीडस्टॉक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत कर सकते हैं और इस कदम से पूरे जैव ईंधन उद्योग को लाभ होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि धान की पराली का उपयोग करने वाले विभिन्न उद्योगों के आसपास क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला के लाभार्थी धान की पराली को एकत्रित करेंगे, सघन करेंगे, वांछित स्थानों पर भंडारण करेंगे और आवश्यकतानुसार विभिन्न उपयोगकर्ताओं या उद्योगों को उपलब्ध कराएंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि ऋण की पुनर्भुगतान अवधि पांच वर्ष होगी और इसे सालाना 30 जून और 31 जनवरी को 10 अर्ध-वार्षिक किश्तों में चुकाया जाएगा।

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