CM मान बैठक में हुए शामिल, बोले हरियाणा में है A+ रैंकिंग यूनिवर्सिटी, तो क्यों आते हैं पंजाब पढ़ने?
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और नॉर्थ जोन काउंसिल (NZC) की बैठक में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने पंजाब का पक्ष मजबूती से रखा और राज्य के जल, संसाधनों और संस्थानों के अधिकारों की बात रखी।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और नॉर्थ जोन काउंसिल (NZC) की बैठक में उठाए गए मुद्दों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के प्रतिनिधि मौजूद थे। सीएम मान ने कहा कि उन्होंने पंजाब का पक्ष मजबूती से रखा और राज्य के जल, संसाधनों और संस्थानों के अधिकारों की बात रखी।
CM भगवंत मान ने कहा कि जब पंजाब अपनी 1600 करोड़ रुपए की बकाया राशि मांगता है, तो उसे वापस नहीं दिया जाता। सभी राज्य 1952 और 1966 का हवाला देते हैं, लेकिन जब पंजाब 1966 के पुनर्गठन की बात करता है, तो उसमें न तो हिमाचल शामिल था और न ही राजस्थान। उन्होंने कहा कि हरियाणा पहले ही पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) से अलग हो चुका था। उस समय बंसीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे और तब भी पीयू को लेकर राजनीतिक विवाद होता था। आज हरियाणा चाहता है कि उसके अंबाला, कुरुक्षेत्र और सहारनपुर के कॉलेज दोबारा पीयू से एफिलिएट हो जाएं।
मीटिंग में उठा पंजाब के पानी का मुद्दा
मुख्यमंत्री ने बताया कि बैठक में पंजाब के पानी का मुद्दा प्रमुख रहा। राजस्थान ने फिरोजपुर, हरिके और रोपड़ हेडवर्क्स का नियंत्रण अपने पास देने की मांग रखी, जिस पर पंजाब ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। सीएम मान ने कहा कि राज्य का पानी पहले ही पर्याप्त नहीं है और किसी भी बाहरी दखल की अनुमति नहीं दी जा सकती।
CM भगवंत सिंह मान ने उठाए सवाल?
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने बैठक के दौरान सवाल उठाए की जब कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की रैंकिंग A+ है, तो हरियाणा के छात्र पंजाब के कॉलेजों में पढ़ना क्यों चाहते हैं? उनका आरोप है कि हरियाणा पीयू की सीनेट और सिंडिकेट पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) को लेकर हरियाणा बार-बार विवाद खड़ा कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि हरियाणा के छात्र पंजाब के कॉलेजों में दाखिला लेना चाहते हैं, लेकिन हरियाणा सरकार पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्सेदारी की मांग कर रही है। इस विवाद के चलते सीनेट भी भंग कर दी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
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