ट्रांजैक्शन पेंडिंग हो या गलत UPI पेमेंट, यूजर्स को ऐसे मिलेगा समाधान…
UPI सिस्टम पूरी तरह से सुरक्षित और रेगुलेटेड है, लेकिन सही जानकारी की कमी से छोटी-मोटी दिक्कतें भी बड़ी लग सकती हैं। लिमिट, रिवर्सल नियमों और विवाद सुलझाने की प्रक्रिया को समझने से ऐसी समस्याओं से निपटना आसान हो जाता है।
आज UPI हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। सब्ज़ी खरीदने से लेकर बिजली का बिल चुकाने और दोस्तों को पैसे भेजने तक, सब कुछ कुछ ही सेकंड में हो जाता है। लेकिन कई बार पेमेंट अटक जाता है, फेल दिखता है या फिर अकाउंट से पैसे कट जाते हैं। ऐसे में सबसे आम चिंता यही होती है कि पैसा वापस आएगा या नहीं और बैंक इसमें क्या भूमिका निभाएगा।
UPI फेल होने की क्या होती है असली वजह ?
अक्सर लोग मान लेते हैं कि पेमेंट फेल होने का मतलब UPI सर्विस डाउन है, जबकि हर बार ऐसा नहीं होता। कई बार बैंक या UPI ऐप की अपनी आंतरिक सीमाएं होती हैं, जैसे एक दिन में ट्रांजैक्शन की संख्या या अधिकतम रकम की सीमा। कुछ खास कैटेगरी, जैसे इंश्योरेंस प्रीमियम या निवेश से जुड़े पेमेंट के लिए अलग और ज्यादा लिमिट तय होती है। अगर मर्चेंट सही तरीके से कैटेगराइज़ नहीं है या आपका बैंक उस कैटेगरी को सपोर्ट नहीं करता, तो बड़ा अमाउंट भेजने पर ट्रांजैक्शन फेल हो सकता है। ऐसे मामलों में एक ही बार में बड़ी रकम भेजने के बजाय उसे छोटे-छोटे हिस्सों में भेजना बेहतर विकल्प होता है।
UPI फेल होने पर आपके पैसे का क्या होता है ?
UPI फेल होने की आमतौर पर दो स्थितियां होती हैं। पहली स्थिति में पेमेंट फेल हो जाता है और पैसे अकाउंट से कटते ही नहीं। यह असुविधाजनक जरूर है, लेकिन इसमें कोई वित्तीय नुकसान नहीं होता। दूसरी स्थिति थोड़ी चिंता बढ़ाने वाली होती है, जब पेमेंट फेल या पेंडिंग दिखता है, लेकिन पैसे अकाउंट से कट जाते हैं। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में यह पैसा स्थायी रूप से नहीं जाता। RBI के नियमों के अनुसार, तय समय सीमा के भीतर ऑटोमैटिक रिवर्सल होना चाहिए। अगर तय समय में रकम वापस नहीं आती, तो ग्राहक को मुआवजे का भी प्रावधान है।
बैंक और UPI ऐप कैसे करते हैं आपकी मदद ?
बैंक या UPI ऐप ट्रांजैक्शन का स्टेटस जांच सकता है, डिस्प्यूट दर्ज कर सकता है और अगर पेमेंट वास्तव में फेल हुआ है, तो रिवर्सल की प्रक्रिया शुरू करता है। NPCI के तहत एक तयशुदा शिकायत निवारण सिस्टम मौजूद है। हालांकि, बैंक यह काम नहीं कर सकता कि अगर आपने गलती से किसी गलत व्यक्ति को पैसे भेज दिए और ट्रांजैक्शन सफल हो गया, तो वह अपने आप पैसा वापस ले ले। सफल ट्रांजैक्शन को फेल नहीं माना जाता। ऐसे मामलों में पैसा वापस मिलना इस बात पर निर्भर करता है कि सामने वाला व्यक्ति रिफंड करे या फिर मामला फ्रॉड से जुड़ा हो।
डिस्प्यूट सही तरीके से करें दर्ज
जब भी UPI से जुड़ी कोई समस्या आए, तो सबसे पहले जरूरी जानकारी संभाल कर रखें-UPI रेफरेंस नंबर, तारीख, समय, रकम और स्क्रीनशॉट। सबसे पहले उसी UPI ऐप में “Report a Problem” या “Help” सेक्शन के जरिए शिकायत दर्ज करें। अगर वहां से समाधान न मिले, तो अपने बैंक के कस्टमर केयर से संपर्क करें और शिकायत नंबर जरूर नोट कर लें। इसके बाद भी समाधान न हो, तो RBI की इंटीग्रेटेड ओम्बड्समैन स्कीम के तहत शिकायत की जा सकती है। अगर कोई ट्रांजैक्शन अटका हुआ है, तो उसी पेमेंट को बार-बार दोहराने की गलती न करें। इससे डुप्लीकेट डेबिट का खतरा बढ़ जाता है और मामला और उलझ सकता है। पहले यह कन्फर्म होने दें कि पुराना ट्रांजैक्शन पूरी तरह फेल हो चुका है या पैसा रिवर्स हो गया है, उसके बाद ही नया पेमेंट करें।
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