अब संत की लाल डायरी खोलेगी डेरे के राज, आखिर कब किसके नाम बाबा ने अपनी कलम से लिख कर की डेरे की वसीयत?

Aug 9, 2024 - 12:42
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अब संत की लाल डायरी खोलेगी डेरे के राज, आखिर कब किसके नाम बाबा ने अपनी कलम से लिख कर की डेरे की वसीयत?
अब संत की लाल डायरी खोलेगी डेरे के राज, आखिर कब किसके नाम बाबा ने अपनी कलम से लिख कर की डेरे की वसीयत?

जगदीश प्रजापति, कालांवाली:

डेरा जगमालवाली की गद्दी को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब स्वर्गीय संत बहादुर चंद वकील साहिब की एक लाल डायरी सामने आई है। इस डायरी से डेरे के कईं राज खुलने की संभावना जताई जा रही है। सिरसा के कालावाली स्थित डेरा शाह मस्ताना बिलोचिस्तानी जगमालवाली के संत बहादुर चंद मे वकील साहिब ने 1 जनवरी 2023 को लिखी थी। इस डायरी में वकील साहिब से पहले डेरे के संत रहें गुरुबख्स सिंह मैनेजर का भी जिक्र है। उसमे लिखा है की किस तरह से गुरुबख्स सिंह मैनेजर ने बहादुर चंद वकील साहिब के नाम डेरे की वसीयत की है।

वकील साहिब ने अपने हाथ से इस लाल डायरी में अपनी वसीयत लिखी है, जोकि वीरेंद्र के नाम का जिक्र किया गया है और साफ लिखा है डेरे की वसियत वीरेंद्र के नाम कर रहा हूं। इस डायरी में डेरे के ट्रस्ट के सभी सदस्यों का भी जिक्र किया गया है। इससे साफ जाहिर है की संत वकील साहिब ने अपने होश हवास में डेरे की वसियत महात्मा वीरेंद्र के नाम की गई है। इस डायरी के पन्नो पर लिखी वसियत को प्रिंट करवाकर और रजिस्टर्ड करवाकर डेरे के ट्रस्ट के लोगों के सामने संत वकील साहिब के होते हुए वकील ने वसियत को पढ़ा था। 

वही इस डायरी को ट्रस्ट के सदस्य सुमेर सिंह ने भी पढ़ कर सुनाया था। अब देखना होगा इस लाल डायरी में और क्या "राज" निकलकर सामने आते है। आपको बता दें की संत वकील साहिब कई महीनों से बीमार थे। इसी बीमारी के चलते उनका दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। निधन के बाद ज़ब संत के पार्थिव शरीर को डेरा जगमालवाली में लाया गया तो उसी समय संत वकील साहिब के गांव के रहने वाले बिश्नोई समाज के एक वक्ती अमर सिंह ने गद्दी को लेकर विवाद पैदा कर कर दिया था। अमर सिंह ने आरोप लगाए थे की संत वकील साहिब ने जो वसियत वीरेंद्र के नाम की है वह फर्जी है इसकी सीबीआई और हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच करवाई जाए।

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