सांसद रहते हुए तीसरे मुख्यमंत्री बने थे नायब सैनी, जानिए पहले कौन बने थे 2 CM?

हरियाणा की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी ने किसी सांसद को मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री को सांसद बनाने का काम किया है। लोकसभा सांसद रहते हुए मुख्यमंत्री बनने वाले नायब सिंह सैनी हरियाणा के पहले नेता नहीं है। इनसे पहले भी 2 नेता लोकसभा के सांसद रहते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।

Sep 1, 2024 - 12:30
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सांसद रहते हुए तीसरे मुख्यमंत्री बने थे नायब सैनी, जानिए पहले कौन बने थे 2 CM?
सांसद रहते हुए तीसरे मुख्यमंत्री बने थे नायब सैनी, जानिए पहले कौन बने थे 2 CM?

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़:

हरियाणा की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी ने किसी सांसद को मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री को सांसद बनाने का काम किया है। लोकसभा सांसद रहते हुए मुख्यमंत्री बनने वाले नायब सिंह सैनी हरियाणा के पहले नेता नहीं है। इनसे पहले भी 2 नेता लोकसभा के सांसद रहते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।

हालांकि बाद में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर करनाल विधानसभा से उपचुनाव जीतकर नायब सिंह सैनी विधानसभा के सदस्य बने थे, लेकिन लोकसभा सांसद रहते हुए मुख्यमंत्री बनने वाले वह प्रदेश के तीसरे नेता बन चुके हैं। चलिए अब आपकों विस्तार से बताते हैं कि इससे पहले किन हालात में कौन सा नेता विधानसभा का सदस्य रहे बिना मुख्यमंत्री बना। 

कांग्रेस ने शुरू की थी परिपाटी

हरियाणा में विधानसभा सदस्यों की बजाए केंद्र यानि लोकसभा के सदस्य को मुख्यमंत्री बनाने की परंपरा कांग्रेस की ओर से शुरू की गई थी। हरियाणा में सबसे पहले कांग्रेस ने ही 1986 में इस परंपरा की शुरूआत की थी। 

रेलवे मंत्री रहते बने थे मुख्यमंत्री

हरियाणा में सबसे पहले लोकसभा के सदस्य और केंद्र में रेलवे मंत्री रहते हुए चौधरी बंसीलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। बंसीलाल ने उस समय 5 जून 1986 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने बेटे सुरेंद्र सिंह से तोशाम सीट को खाली करवाकर उपचुनाव जीता था। कांग्रेस की टिकट पर इस उपचुनाव में बंसीलाल को 81298 मत मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर आजाद  प्रत्याशी आर स्वरूप को केवल 479 वोट ही मिल पाए थे। मुख्यमंत्री के रूप में बंसीलाल का यह कार्यकाल 19 जून 1987 तक चला था। 

2005 में ये भी बने थे मुख्यमंत्री 

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा 5 मार्च 2005 में जब मुख्यमंत्री बने तो वह रोहतक लोकसभा से सांसद थे। वह भी विधानसभा के सदस्य नहीं होने के बावजूद सदन के नेता बनाए गए और उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। मुख्यमंत्री बनने के बाद श्रीकृष्ण हुड्डा ने उनके लिए किलोई से अपनी विधानसभा की सीट को खाली किया और भूपेंद्र हुड्डा ने वहां से उपचुनाव जीतकर विधानसभा की सदस्यता हासिल की। भूपेंद्र हुड्डा की ओर से मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई रोहतक की लोकसभा सीट पर उन्होंने अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा की राजनीतिक एंट्री करवाई थी। 

6 महीने तक रह सकता है मुख्यमंत्री 

कोई भी व्यक्ति विधानसभा का सदस्य नहीं होने की सूरत में भी सदन का नेता चुने जाने के बाद केवल 6 महीने तक ही मुख्यमंत्री के पद पर रह सकता है। इस दौरान उसे विधानसभा का चुनाव लड़कर विधानसभा की सदस्यता हासिल करनी होती है। ऐसा नहीं होने पर उन्हें सीम का पद छोड़ना होता है। 

तीसरे मुख्यमंत्री बने सैनी

बंसीलाल और भूपेंद्र हुड्डा की तरह से ही नायब सैनी भी हरियाणा विधानसभा के सदस्य की बजाए लोकसभा के सांसद रहते हुए मुख्यमंत्री बने थे। 13 मार्च 2024 को उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी।

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