सावधान ! आपकों भी है कुत्ते पालने का शौक, मत करना इन लक्ष्णों की अनदेखी
इंसानों के साथ अब पशुओं में भी पथरी जैसी बीमारी के मामले बढ़ने लगे हैं। सबसे अहम बात यह है कि आमतौर पर घरों में पाले जाने वाले और शहर की सड़कों की रखवाली करते दिखाई देने वाले कुत्तों में यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है। पंचकूला के गवर्नमेंट पेट एनीमल अस्पताल में प्रतिदिन 120 से 130 ओपीडी देखी जाती है। वहीँ प्रतिमाह 15 से 20 सर्जरी पथरी को लेकर होती है।
सज्जन कुमार, पंचकूला:
इंसानों के साथ अब पशुओं में भी पथरी जैसी बीमारी के मामले बढ़ने लगे हैं। सबसे अहम बात यह है कि आमतौर पर घरों में पाले जाने वाले और शहर की सड़कों की रखवाली करते दिखाई देने वाले कुत्तों में यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है। पंचकूला के गवर्नमेंट पेट एनीमल अस्पताल में प्रतिदिन 120 से 130 ओपीडी देखी जाती है। वहीँ प्रतिमाह 15 से 20 सर्जरी पथरी को लेकर होती है। डिप्टी डायरेक्टर रंजीत सिंह के अनुसार इसका कारण पेट एनीमल की डाइट का अनबैलेंस होना और पानी कम पीना है।
पंचकूला पेट एनीमल हॉस्पिटल में अम्बाला, यमुनानगर, पेहवा, कुरुक्षेत्र आदि जिलों के आलावा हिमाचल से भी मामले पहुंच रहे है। अस्पताल में एक्सरे, ऑपरेशन की सुविधाए पहले से ही मौजूद है। लुवास के साथ मिलकर जल्द ही ओप्थोमोलॉजी डिपार्टमेंट भी शुरू होने जा रहा है। अस्पताल में जल्द ही अल्ट्रासाउंड मशीन भी लगाई जाएगी।
अस्पताल के डिप्टी डायरेक्टर रंजीत सिंह जादौन ने बताया की पंचकूला पेट एनिमल अस्पताल में जल्द ही ओप्थोमोलॉजी यूनिट शुरू होने जा रहे है। इसे लेकर ऑपरेशन थिएटर तैयार हो चुका है। रंजीत सिंह जादौन ने बताया की हिसार स्थित लुवास यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर ओप्थोमोलॉजी यूनिट शुरू की जाएगी इसको लेकर अधिकतर उपकरण हॉस्पिटल में आ चुके है। आचार संहिता ख़त्म होने के 15 दिनों के अंदर अल्ट्रासाउंड मशीन भी स्थापित की जाएगी जिसको लेकर टेंडर पहले ही निकाला जा चूका है।
पंचकूला के पेट एनिमल अस्पताल में सुबह 8 से शाम 8 बजे तक सुविधाए दी जाती है वही छुट्टी के दिनों में भी यहाँ पर लोग अपने पेट एनीमल का इलाज करवा सकते है। उन्होंने बताया की प्रतिदिन 120 से 130 मामले प्रतिदिन हॉस्पिटल में पहुंचते है। रंजीत जादौन ने बताया की पंचकूला पेट एनीमल अस्पताल अब रेफरल अस्पताल भी है। इसलिए पंचकूला के आलावा पेहवा, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, अम्बाला, के साथ साथ हिमाचल से भी मामले यहां पहुंच रहे है।
डॉ रंजीत सिंह ने बताया की सीजनल बीमारियों के साथ साथ पेट एनीमल में पथरी के केस बढ़ रहे है। इसका मुख्य कारण अनबैलेंस डाइट या कम पानी पीना हो सकता है। अधिकतर मामलों में पथरी का कारण कम पानी पीना पाया गया है। पथरी यदि छोटी होती है तो दवाइयों से इसे निकाला जा सकता है, लेकिन यदि पथरी बड़ी है तो इसके लिए ऑपरेशन करना पड़ता है। पेट एनीमल अस्पताल में प्रति माह 15 से 20 सर्जरी पथरी की समस्या को लेकर की जा रही है।
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