अगला दुबई बनेगा पाकिस्तान? मिला चौथा सबसे बड़ा पेट्रोलियम भंडार
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को अपनी समुद्री सीमा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार मिला है। इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आएगा और इससे भारत को क्या नुकसान उठाना पड़ सकता है?
दुबई में जब कच्चा तेल मिला तो पैसे बरसने लगे। इतना पैसा आया कि आज वह दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक है और दुनिया के लगभग सभी अमीर लोग वहां निवेश कर रहे हैं। कुछ सालों बाद पाकिस्तान में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिल सकता है, क्योंकि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को अपनी समुद्री सीमा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार मिला है। इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में क्या बदलाव आएगा और इससे भारत को क्या नुकसान उठाना पड़ सकता है?
पाकिस्तान के प्रमुख टीवी चैनल 'डॉन न्यूज टीवी' ने शुक्रवार को एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि करीब 3 साल के सर्वेक्षण के बाद इस भंडार की खोज की गई है। इस काम में पाकिस्तान को एक साझेदार देश से भौगोलिक सर्वेक्षण कराने में मदद मिली। इसके बाद ही पाकिस्तान की समुद्री सीमा में तेल भंडार होने की पुष्टि हो सकी।
दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार
डॉन न्यूज टीवी की खबर के मुताबिक, यह पेट्रोलियम भंडार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार होने की संभावना है। अब पाकिस्तान इस पेट्रोलियम भंडार का फायदा उठाने की तैयारी कर रहा है। जल्द ही यहां कुएं खोदने, खोजबीन आदि के लिए बोलियां आमंत्रित की जा सकती हैं। हालांकि, इसके बावजूद यहां से कच्चे तेल का उत्पादन शुरू होने में कुछ साल लग सकते हैं। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस संबंध में पहल करने और काम को तेजी से पूरा करने से पाकिस्तान की आर्थिक किस्मत बदलने में मदद मिल सकती है।
इस समय वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है। जबकि सऊदी अरब, ईरान, कनाडा और इराक दुनिया के टॉप-5 देशों में शामिल हैं। वहीं, अमेरिका के पास सबसे बड़ा तेल भंडार है।
पाकिस्तान के अधिकारी ने कहा कि अगर यह प्राकृतिक गैस भंडार कच्चे तेल की जगह निकला तो यह पाकिस्तान के एलएनजी आयात की जगह ले लेगा। साथ ही इसका इस्तेमाल आयातित कच्चे तेल की जगह किया जा सकता है। हालांकि, इस भंडार की खोज पर 5 अरब डॉलर का निवेश करना होगा।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को फायदा
पाकिस्तान इस समय दुनिया के टॉप-30 कच्चे तेल आयातकों में से एक है। इसका हर साल कच्चे तेल का आयात 5 अरब डॉलर से ज्यादा है। सऊदी अरब पाकिस्तान के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत है। जबकि इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कुवैत और नीदरलैंड का स्थान है।
अगर संयुक्त अरब अमीरात से तुलना करें तो उसने वर्ष 2022 में 402 बिलियन डॉलर का तेल निर्यात किया। ऐसे में वह दुनिया का 18वां सबसे बड़ा तेल निर्यातक बन गया। जबकि तेल भंडार के मामले में वह 7वें स्थान पर है। यूएई में भी सबसे ज्यादा तेल भंडार अबू धाबी के पास है, जबकि दुबई के पास सिर्फ 4 बिलियन बैरल तेल भंडार है। इसके बावजूद दुबई की अर्थव्यवस्था को तेल से जबरदस्त मजबूती मिली है।
क्या भारत को होगा नुकसान?
पाकिस्तान में तेल भंडार की खोज से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर पड़ सकता है। अगर तेल की वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है तो इससे उसकी सामरिक शक्ति भी बढ़ेगी। यह स्थिति भारत के लिए अनुकूल नहीं होगी, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के संबंधों में 1947 से ही तनाव रहा है।
इतना ही नहीं, तेल भंडार की वजह से दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकत पाकिस्तान में दिलचस्पी ले सकती है। इससे क्षेत्र में अशांति का माहौल भी बन सकता है। इराक के मामले में यह स्थिति पहले भी देखी जा चुकी है।
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