12 साल बाद ही क्यों होता है महाकुंभ? जानिए इसके पीछे का धार्मिक रहस्य

कुंभ मेले को लेकर अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर यह हर 12 साल बाद क्यों आता है इसके पीछे कौन-सी गहरी मान्यताएं और मिथक जुड़े हुए हैं. आइए इसके बारे में डिटेल से जानते हैं..

Jan 14, 2025 - 11:06
 85
12 साल बाद ही क्यों होता है महाकुंभ? जानिए इसके पीछे का धार्मिक रहस्य
Why does Maha Kumbh happen only after 12 years
Advertisement
Advertisement

प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ मेले की भव्य शुरुआत हो गई है। यह आयोजन हर 12 वर्षों के बाद भारत के चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है। महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं को भारत की पवित्र नदियों के संगम पर आकर्षित करता है।

12 साल बाद ही क्यों होता है महाकुंभ ?

महाकुंभ मेले का आधार हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में छिपा है। मान्यता है कि देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन के दौरान अमृत प्राप्त हुआ था। अमृत कलश से कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं। इन स्थानों को पवित्र माना गया और यहीं कुंभ मेले का आयोजन शुरू हुआ। 
प्रयागराज को विशेष रूप से तीर्थराज कहा जाता है। यह मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने यहीं पर पहला यज्ञ किया था। इस कारण प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से कुंभ का आयोजन

महाकुंभ के आयोजन का समय ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार तय होता है। जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं, तब प्रयागराज में कुंभ मेला आयोजित होता है। इस प्रकार हर स्थान के लिए अलग-अलग ज्योतिषीय स्थितियां निर्धारित की गई हैं, जो मेले की तिथियों को निर्धारित करती हैं।

महाकुंभ 2025: शाही स्नान की तिथियां

महाकुंभ 2025 में शाही स्नान का विशेष महत्व है। श्रद्धालुओं के लिए इन तिथियों पर स्नान करना अत्यधिक पुण्यदायक माना गया है।

  1. पौष पूर्णिमा – 13 जनवरी 2025
  2. मकर संक्रांति – 14 जनवरी 2025
  3. मौनी अमावस्या – 29 जनवरी 2025
  4. बसंत पंचमी – 3 फरवरी 2025
  5. माघ पूर्णिमा – 12 फरवरी 2025
  6. महाशिवरात्रि – 26 फरवरी 2025

पवित्र स्नान का महत्व

महाकुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व हिंदू धर्म में सर्वोपरि है। मान्यता है कि इन नदियों का पानी अमृत तुल्य हो जाता है। संगम पर स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

विदेशी श्रद्धालुओं का आकर्षण

महाकुंभ केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, इस बार मेले में 15 लाख से अधिक विदेशी श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करता है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow