बाबा साहब के याद में क्यों मनाया जाता है महापरिनिर्वाण दिवस?
हर साल 6 दिसंबर को भारत में डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन को पूरे देश में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हर साल 6 दिसंबर को भारत में डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन को पूरे देश में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ. आंबेडकर ने अपना जीवन समानता, सामाजिक न्याय और मानव अधिकारों के लिए समर्पित किया। वे एक ऐसे समाज का सपना देखते थे, जहां हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के बराबरी का अधिकार मिले। इस वर्ष 2025 में देश भर में बाबासाहेब की 70वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है।
भारतीय संविधान के जनक - डॉ आंबेडकर
डॉ. आंबेडकर ने जीवनभर असमानता और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने ऐसे समाज का सपना देखा, जिसमें सभी लोगों को समान अधिकार और सम्मान मिले। बाबा साहब एक महान शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। उन्हें “भारतीय संविधान का जनक” (Father of Indian Constitution) कहा जाता है। भारतीय संविधान के निर्माण और समाज सुधार में योगदान के लिए उन्हें 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 2025 का महापरिनिर्वाण दिवस, डॉ. आंबेडकर की 70वीं पुण्यतिथि के रूप में मनाया जा रहा है।
जानें क्यों मनाया जाता है महापरिनिर्वाण दिवस?
हर साल 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था। वे भारत के संविधान निर्माण की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे और आजाद भारत के पहले कानून मंत्री भी रहे। अपने जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया और दलित बौद्ध आंदोलन को दिशा दी। 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में जन्मे डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने एक वकील, अर्थशास्त्री, शिक्षक और समाज सुधारक के रूप में देश के लिए अमूल्य योगदान दिया।
देशभर में आयोजित हुए कार्यक्रम
बाबा साहब की पुण्यतिथि पर देशभर में प्रार्थना सभाएं, पुष्पांजलि समारोह और सामाजिक न्याय संगोष्ठियां आयोजित की गईं। मुंबई के चैत्यभूमि में हजारों लोगों ने पहुंचकर बाबा साहब को नमन किया, जबकि अयोध्या, दिल्ली, नागपुर और लखनऊ में भी श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित हुईं। महापरिनिर्वाण दिवस पर राष्ट्र ने एक स्वर में “जय भीम” के नारे के साथ डॉ. भीमराव आंबेडकर के समता और न्याय के संदेश को दोहराया।
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