पहलगाम हमले के जिम्मेदार TRF का कौन है आका ?
इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की धर्म पूछकर हत्या कर दी गई थी। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने घोषणा की कि यह कदम पहलगाम हमले के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जवाबदेही की मांग के अनुरूप है।

आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को अमेरिका ने बड़ा झटका दिया है। उसने पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को वैश्विक आतंकी सूची में डाल दिया है। दरअसल, इसी TRF ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की धर्म पूछकर हत्या कर दी गई थी। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने घोषणा की कि यह कदम पहलगाम हमले के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जवाबदेही की मांग के अनुरूप है।
रुबियो ने विदेश विभाग की ओर से जारी बयान में कहा, ‘TRF के खिलाफ यह कार्रवाई हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा, आतंकवाद से निपटने और पहलगाम हमले के लिए राष्ट्रपति ट्रंप की न्याय की अपील को लागू करने की प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। TRF को अन्य उपनामों के साथ आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 219 और लश्कर-ए-तैयबा के लिए कार्यकारी आदेश 13224 के तहत एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और एक विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।’ अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद दुनिया में इस आतंकी संगठन की हर हरकत पर नजर रखी जाएगी।
आतंकवादी संगठन घोषित होने पर भारत ने क्या कहा?
सबसे पहले, आइए बात करते हैं कि अमेरिका द्वारा TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करने पर भारत ने क्या कहा है? भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, 'भारत सरकार, TRF को एक विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के अमेरिकी विदेश विभाग के फैसले का स्वागत करती है। हम इस संबंध में विदेश मंत्री मार्को रुबियो के नेतृत्व की सराहना करते हैं।'
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'पाकिस्तान स्थित लश्कर का एक छद्म संगठन, TRF, 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में नागरिकों पर हुए जघन्य हमले सहित कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है, जिसकी ज़िम्मेदारी उसने दो बार ली है। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और आतंकवादी बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करने में वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर लगातार ज़ोर दिया है। TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करना एक समयोचित और महत्वपूर्ण कदम है जो आतंकवाद से संबंधित मामलों पर भारत और अमेरिका के बीच गहरे सहयोग को दर्शाता है।' भारत आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए अपने अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर काम करता रहेगा कि आतंकवादी संगठनों और उनके सहयोगियों को जवाबदेह ठहराया जाए।
पहलगाम हमले के बाद TRF ने क्या कहा?
TRF ने पहलगाम हमले की ज़िम्मेदारी ली थी। इसने कहा था कि 85,000 से ज़्यादा निवास प्रमाण पत्र गैर-स्थानीय लोगों को जारी किए गए हैं, जिससे भारत अधिकृत जम्मू और कश्मीर (IIOJK) में जनसांख्यिकीय परिवर्तन का रास्ता खुल गया है। ये गैर-स्थानीय लोग पर्यटक बनकर आते हैं, निवास प्रमाण पत्र प्राप्त करते हैं और फिर ज़मीन के मालिक होने का नाटक करने लगते हैं। नतीजतन, अवैध रूप से बसने की कोशिश करने वालों के खिलाफ आतंक फैलाया जाएगा।
TRF क्या है?
कश्मीर में सुरक्षा तंत्र के भीतर TRF को अक्सर 'वर्चुअल फ्रंट' के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसकी शुरुआत इसी तरह हुई थी। फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद, इस संगठन ने घाटी में अपनी गतिविधियाँ बढ़ानी शुरू कर दीं। इसके बाद, इसने अपने नेटवर्क का विस्तार जारी रखा। इसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का समर्थन प्राप्त है। 5 अगस्त 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया, पाकिस्तान बौखला गया और उसने पूरे जम्मू-कश्मीर में इस आतंकवाद को सक्रिय कर दिया।
यह आतंकवादी संगठन रेजिस्टेंस फ्रंट लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध संगठन के रूप में बना था। केंद्र सरकार ने 2023 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह युवाओं की ऑनलाइन भर्ती, आतंकवादियों की घुसपैठ में मदद, पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। इस समूह ने सबसे पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया और संदेश भेजने शुरू किए ताकि लोगों को निशाना बनाया जा सके। इतना ही नहीं, रेजिस्टेंस फ्रंट नाम कश्मीर के अन्य आतंकवादी समूहों से अलग है क्योंकि ज़्यादातर संगठनों के नाम इस्लामी हैं। भारतीय अधिकारी भी लगातार इस बात के सबूत देते रहे हैं कि टीआरएफ पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का ही एक संगठन है।
TRF का सरगना कौन है?
इस आतंकी संगठन का सरगना, संस्थापक और कमांडर कोई और नहीं बल्कि आतंकी शेख सज्जाद गुल है। गुल को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, TRF के सभी अभियानों को पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस यानी ISI का पूरा समर्थन प्राप्त है। यह एजेंसी कश्मीर क्षेत्र को अस्थिर बनाए रखने की अपनी रणनीति के तहत इस संगठन का इस्तेमाल करती रही है।
TRF ने किस तरह के हमले किए?
TRF ने जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है। पहलगाम हमले से पहले, इसने टारगेट किलिंग पर ध्यान केंद्रित किया था, जिसमें कई गैर-कश्मीरी लोगों को निशाना बनाया गया था। इसके लिए आतंकियों ने फेसबुक, टेलीग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया और अपने टारगेट तय करके घटनाओं को अंजाम दिया। साथ ही, वे राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक गतिविधियों पर भी कड़ी नज़र रखते थे। गौरतलब है कि टीआरएफ के आतंकी बात करने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते। वे केवल संदेशों के जरिए ही अपने इरादे जाहिर करते हैं। यही वजह है कि इन्हें ट्रैक करना आसान नहीं है।
इस आतंकी संगठन ने अपनी हिट लिस्ट में कई लोगों के नाम भी जारी किए हैं। इसमें भाजपा नेता, सेना और पुलिस अधिकारी शामिल हैं। हालाँकि, सुरक्षा एजेंसियाँ इसके मंसूबों को नाकाम करती रही हैं और आतंकवाद के खात्मे के लिए लगातार आतंकियों को जहन्नुम भेजती रही हैं। इन आतंकियों का एक मकसद घाटी में 1990 का दौर वापस लाना रहा है, जिसमें वे कामयाब नहीं हो पाए हैं।
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