11 या 12 नवंबर कब है देवउठनी एकादशी ? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत नियम

हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाए जाने वाला यह पर्व भगवान विष्णु की योगनिद्रा से जागने की तिथि के रूप में जाना जाता है।

Nov 10, 2024 - 14:14
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11 या 12 नवंबर कब है देवउठनी एकादशी ? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत नियम
Dev Uthani Ekadashi
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हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाए जाने वाला यह पर्व भगवान विष्णु की योगनिद्रा से जागने की तिथि के रूप में जाना जाता है। चार महीनों की चातुर्मास अवधि के बाद, इस दिन से भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन में पुनः सक्रिय हो जाते हैं, और इसी दिन से सभी शुभ एवं मांगलिक कार्यों का प्रारंभ होता है। देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

देवउठनी एकादशी 2024: कब मनाई जाएगी ?

इस वर्ष देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6:46 बजे से प्रारंभ होकर 12 नवंबर को शाम 4:04 बजे तक रहेगी। उदया तिथि में एकादशी पड़ने के कारण इस बार का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा, और व्रत का पारण 13 नवंबर की सुबह 6 बजे के बाद किया जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है, और विशेष भोग अर्पित किया जाता है।

देवउठनी एकादशी की पूजा विधि और व्रत नियम


भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा: इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है और भगवान को भोग अर्पित किया जाता है।
  
सात्विक भोजन: एकादशी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करने का नियम है। इस दिन मांस, मछली और मदिरा का सेवन वर्जित माना गया है, क्योंकि इससे व्रत की पवित्रता भंग हो सकती है।

तुलसी और शालीग्राम विवाह: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालीग्राम (भगवान विष्णु का स्वरूप) और माता तुलसी का विवाह सम्पन्न किया जाता है। इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, क्योंकि यह तुलसी विवाह का पवित्र अवसर होता है।

चावल का परहेज: एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चावल खाने से व्रत का प्रभाव कम हो सकता है।

बुरी बातों से दूर रहें: इस दिन किसी भी व्यक्ति की निंदा या बुराई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज होती हैं और व्यक्ति की समृद्धि में बाधा आती है।

भोग के लिए विशेष रेसिपी

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को सफेद चीजों का भोग अर्पित करने की परंपरा है। आप इस दिन खीर या पेड़ा जैसे प्रसाद बना सकते हैं, जो भगवान को अर्पित करने के लिए सरल और पवित्र माने जाते हैं। 

खीर: दूध, चीनी और चावल के मिश्रण से तैयार की गई खीर इस दिन का प्रमुख भोग है। आप इसे इलायची और मेवों से सजा सकते हैं, जिससे इसका स्वाद बढ़ जाता है।

पेड़ा: पेड़ा बनाने के लिए दूध और चीनी का उपयोग किया जाता है। इसे इलायची पाउडर से सजाया जाता है, और यह एक साधारण लेकिन स्वादिष्ट भोग के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

देवउठनी एकादशी पर विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है कि इस पावन पर्व पर हर कार्य पूरी पवित्रता और श्रद्धा के साथ किया जाए। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

 

 

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