देश का एक ऐसा गांव जहां नहीं मनाया जाता दशहरा, मातम जैसा रहता है माहौल

इस दौरान कई शहरों में रावण के विशाल पुतले जलाए जाते हैं,  लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा गांव भी है, जहां दशहरे के दिन मातम का माहौल रहता है

Oct 12, 2024 - 13:35
 104
देश का एक ऐसा गांव जहां नहीं मनाया जाता दशहरा, मातम जैसा रहता है माहौल
Advertisement
Advertisement

आज देशभर में दशहरा का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, इस दौरान कई शहरों में रावण के विशाल पुतले जलाए जाते हैं,  लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा गांव भी है, जहां दशहरे के दिन मातम का माहौल रहता है, इस गांव में दशहरे के दिन किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलता, न ही रावण जलाया जाता है और न ही कोई मेला लगता है। ऐसा क्यों है? आइए जानते हैं...

166 साल पुरानी कहानी

आप सोच सकते हैं कि क्या इस गांव के लोगों को रावण से कोई हमदर्दी है? लेकिन ऐसा नहीं है, 166 साल पहले तक यहां भी दशहरा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन उस समय ऐसा क्या हुआ, जिससे गांव वालों को दशहरा मनाना बंद करना पड़ा? इस गांव की आबादी करीब 18 हजार है और यहां दशहरे के दिन कोई भी खुश नहीं रहता।

9 लोगों को दी गई थी फांसी

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के गगोल गांव की यह कहानी दशहरे के दिन की है, यह गांव मेरठ शहर से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां की आबादी करीब 18 हजार है। दशहरे पर गांव के लोग, चाहे वो बच्चे हों या बुजुर्ग, सभी उदास हो जाते हैं। इसकी वजह है 9 लोगों की मौत, जो 166 साल पहले इसी दिन हुई थी।

1857 की क्रांति से जुड़ी घटना

आपने 1857 की क्रांति के बारे में तो सुना ही होगा, जो ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देने वाली पहली बड़ी क्रांति थी। इस क्रांति के दौरान रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब और बेगम हजरत महल जैसे कई नेताओं ने अंग्रेजों का सामना किया था। इस क्रांति की शुरुआत मेरठ से ही हुई थी। दशहरे के दिन गगोल गांव के 9 लोगों को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था। इस घटना ने गांव के लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow