ईरान-इजराइल में उलझी दुनिया, इधर भारत ने कनाडा में खालिस्तानियों पर कसी नकेल

भारत और कनाडा की सरकारें अब एक ऐसा ढांचा तैयार कर रही हैं, जिसके जरिए दोनों देशों की एजेंसियां ​​एक-दूसरे से खुफिया जानकारी साझा कर सकेंगी।

Jun 14, 2025 - 11:09
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ईरान-इजराइल में उलझी दुनिया, इधर भारत ने कनाडा में खालिस्तानियों पर कसी नकेल
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एक तरफ इजरायल और ईरान के बीच जंग तेज होती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ भारत ने कनाडा के साथ मिलकर खालिस्तानी गतिविधियों पर लगाम लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। दोनों देशों के बीच रिश्तों में लंबे समय से तनाव था, लेकिन अब लगता है कि बर्फ पिघल रही है।

भारत और कनाडा की सरकारें अब एक ऐसा ढांचा तैयार कर रही हैं, जिसके जरिए दोनों देशों की एजेंसियां ​​एक-दूसरे से खुफिया जानकारी साझा कर सकेंगी। इसमें सीमा पार अपराध, आतंकवाद, कट्टरपंथ और संगठित अपराध जैसे मुद्दों पर मिलकर काम होगा। दोनों देशों की पुलिस और जांच एजेंसियां ​​खालिस्तान समर्थक संगठनों, आतंकी नेटवर्क और ट्रांसजेंडर गिरोहों पर नजर रख सकेंगी।

G7 समिट में मिल सकते हैं मोदी और कनाडा के पीएम

हालांकि इस नए संवाद और सहयोग की अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की मुलाकात हो सकती है। यह अवसर दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बन सकता है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी कहा है कि यह मुलाकात द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का अवसर होगा।

कनाडा को किस बात की फिक्र है?

इस गठबंधन में कनाडा की मुख्य रुचि कथित न्यायेतर हत्याओं से जुड़े मामलों की जांच करने में है। कनाडा का आरोप है कि भारत सरकार ने विदेश में विरोधियों को निशाना बनाया है, हालांकि भारत पहले ही इस आरोप को निराधार बता चुका है।

पिछली तनातनी की जड़, ट्रूडो के आरोप और भारत की नाराजगी

2023 में तत्कालीन कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सीधे तौर पर भारत पर वैंकूवर के पास एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी नेता की हत्या करवाने का आरोप लगाया था। भारत ने इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद और राजनीतिक स्टंट बताया था। भारत ने कहा था कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक संगठनों को खुली छूट दी जा रही है जो भारत की अखंडता के लिए खतरा है। माना जा रहा है कि अब कनाडा को भी खालिस्तानी नेटवर्क के खतरे की गंभीरता का अहसास हो रहा है और इसीलिए दोनों देशों ने फिर से बातचीत का रास्ता खोल दिया है।

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