लोकसभा में पास हुआ नया रोजगार बिल ' नाम रखा 'VB- जी राम जी'
लोकसभा में पास किया गया 'G Ram G' बिल
केंद्र सरकार मनरेगा की जगह एक नया कानून लेकर आ गई है, जिसका नाम VB-G RAM G (विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन - ग्रामीण) रखा गया है। यह नया विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया गया है और यह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की जगह लेगा।
इस नए कानून में न सिर्फ रोजगार के दिनों की संख्या बढ़ाई जा रही है, बल्कि खेती के मौसम को ध्यान में रखते हुए काम से जुड़ा एक ब्रेक पीरियड भी जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा अब रोजगार योजना की फंडिंग में राज्य सरकारों की हिस्सेदारी भी तय की जा रही है।
1. काम के दिनों की बढ़ेगी गारंटी
अब तक चलते आ रहे मनरेगा के तहत हर ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है। नए VB-G RAM-G कानून में इस अवधि को बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रस्ताव है।
हालांकि मौजूदा व्यवस्था में अतिरिक्त काम की अनुमति सॉफ्टवेयर आधारित मंजूरी से मिलती है और इसके लिए राज्यों को अलग से अनुरोध करना पड़ता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में 50 अतिरिक्त दिन का रोजगार पहले भी दिया जाता रहा है-जैसे वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति परिवारों या प्राकृतिक आपदा से प्रभावित इलाकों में।
2. मजदूरी का भुगतान हर सप्ताह होगा
नए विधेयक में भुगतान प्रणाली को भी अधिक तेज और पारदर्शी बनाने की तैयारी है। जहां अभी मजदूरी का भुगतान 15 दिनों के भीतर किया जाता था, वहीं नए कानून में साप्ताहिक भुगतान का प्रावधान होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी स्थिति में काम किए जाने की तारीख से 15 दिन के भीतर भुगतान करना अनिवार्य होगा। अगर इसमें देरी होती है, तो मुआवजे का नियम पहले की तरह लागू रहेगा। हालांकि मजदूरी दरों में बदलाव का कोई प्रस्ताव फिलहाल नहीं है।
3. अब राज्यों को भी देनी होगी हिस्सेदारी
VB-G RAM-G विधेयक में फंडिंग का ढांचा बदला जा रहा है। मनरेगा के तहत अकुशल मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी, लेकिन नए कानून में राज्य सरकारों को भी मजदूरी भुगतान में भागीदारी करनी होगी। हालांकि सभी राज्यों के लिए नियम एक जैसे नहीं होंगे। बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों में पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। इसके साथ ही पूर्वोत्तर, पर्वतीय राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में फंडिंग का अनुपात 90:10 (केंद्र:राज्य) होगा। जबकि बाकी राज्यों और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह अनुपात 60:40 तय किया गया है।
4. तय सीमा से ज्यादा खर्च का बोझ राज्य पर
नए कानून के तहत केंद्र सरकार हर वित्तीय वर्ष में राज्यों के लिए एक निश्चित बजट तय करेगी। अगर कोई राज्य इस तय सीमा से ज्यादा खर्च करता है, तो अतिरिक्त राशि राज्य सरकार को अपने संसाधनों से वहन करनी होगी।
5. खेती के सीजन में काम पर रहेगा ब्रेक
VB-G RAM-G विधेयक का सबसे बड़ा बदलाव खेती के मौसम को लेकर है। नए प्रावधान के मुताबिक, बुवाई और कटाई के दौरान रोजगार गारंटी योजना के तहत काम अस्थायी रूप से रोका जाएगा, ताकि खेतों में मजदूरों की कमी न हो।
राज्य सरकारों को हर वित्तीय वर्ष में पहले से 60 दिनों का ब्रेक पीरियड घोषित करना होगा। यह अवधि पूरे राज्य के लिए एक जैसी होना जरूरी नहीं है-इसे जिले, ब्लॉक या ग्राम पंचायत स्तर पर अलग-अलग तय किया जा सकता है।
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