आंखों की सेहत का ध्यान रखें! हर तीसरे बच्चे को हो रही है ये गंभीर बीमारी, जानें क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय!
आजकल बच्चों में मायोपिया, जिसे निकट दृष्टि दोष या शॉर्टसाइटेडनेस भी कहा जाता है, एक बढ़ती हुई समस्या बन चुकी है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया में करीब 35% बच्चे इस बीमारी की चपेट में हैं, और यह आंकड़ा आने वाले 25 वर्षों में बढ़कर 40% (740 मिलियन) तक पहुंच सकता है। अगर इसे समय रहते रोका नहीं गया, तो यह और भी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि मायोपिया बच्चों के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है और इससे बचने के उपाय क्या हैं।
मायोपिया क्या है?
मायोपिया एक ऐसी आंखों की समस्या है, जिसमें दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। इसका कारण रेटिना और लेंस की स्थिति में असंतुलन होता है, जिससे आंखों की क्षमता सीमित हो जाती है। इस स्थिति में बच्चे न तो सड़क पर लगे साइन बोर्ड को ठीक से देख पाते हैं और न ही स्कूल में ब्लैक या ग्रीन बोर्ड को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। इसका असर उनकी पढ़ाई और रोजमर्रा की गतिविधियों पर पड़ सकता है।
मायोपिया के कारण
- आनुवंशिकता : यदि माता-पिता में से किसी को मायोपिया है, तो उनके बच्चे में इसे होने की संभावना अधिक होती है।
- स्क्रीन टाइम : मोबाइल, लैपटॉप और टीवी पर ज्यादा समय बिताना भी मायोपिया का कारण बन सकता है। खासकर बच्चों में जो दिनभर डिजिटल स्क्रीन से घिरे रहते हैं।
- खराब लाइफस्टाइल : अनुशासित जीवनशैली की कमी, जैसे सही समय पर खाना न खाना, विटामिन्स और मिनरल्स की कमी, मायोपिया को बढ़ा सकती है।
- बीमारियां : डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियां भी आंखों में दृष्टि संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं।
मायोपिया के लक्षण
- दूर की चीजें धुंधली नजर आना
- पास की चीजें स्पष्ट दिखना
- सिरदर्द
- आंखों में खिंचाव या थकान
- बार-बार आंखों को मिचकाना
मायोपिया के खतरे
अगर मायोपिया का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह और भी गंभीर परिणामों का कारण बन सकता है:
- रेटिना का अपनी जगह से हटना : इससे अंधापन हो सकता है।
- मोतियाबिंद : आंख के लेंस में धुंधलापन आ सकता है, जिससे दृष्टि में और कमी आ सकती है।
- ऑप्टिक नर्व का नुकसान : आंखों के अंदर की नर्व्स को नुकसान हो सकता है, जिससे दृष्टि स्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है।
मायोपिया का इलाज
मायोपिया का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। बच्चों के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस : डॉक्टर की सलाह पर चश्मा पहनने से दृष्टि में सुधार हो सकता है।
- अट्रोपिन आई ड्रॉप्स : बच्चों के लिए इन ड्रॉप्स का उपयोग किया जा सकता है, जो मायोपिया को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
- खास रात वाले लेंस : ये लेंस आंख के कॉर्निया को ठीक रख सकते हैं।
- आंखों की एक्सरसाइज : कुछ विशेष अभ्यास से आंखों की मांसपेशियों को मजबूत किया जा सकता है।
मायोपिया से बचने के उपाय
- स्क्रीन टाइम कम करें : बच्चों को मोबाइल, लैपटॉप और टीवी पर कम समय बिताने के लिए प्रेरित करें।
- सूरज की रोशनी में समय बिताएं : दिन में बाहर खेलते वक्त सूर्य की रोशनी में रहें, इससे आंखों के विकास में मदद मिलती है।
- आंखों की नियमित जांच : बच्चों की आंखों की जांच समय-समय पर करानी चाहिए, ताकि कोई समस्या पहले ही पकड़ में आ सके।
- आंखों पर दबाव कम करें : किताब पढ़ते या कंप्यूटर पर काम करते समय आंखों से कम से कम 12 इंच की दूरी बनाए रखें।
- धूप से बचाव : पराबैंगनी (UV) किरणों से बचने के लिए धूप में हमेशा चश्मा पहनें।
- स्वस्थ आहार : विटामिन A, C, और ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले फल और सब्जियां डाइट में शामिल करें।
- बीमारी का नियंत्रण : डायबिटीज और हाई बीपी जैसी बीमारियों का नियंत्रण रखें।
- धूम्रपान और शराब से बचें : इन आदतों से आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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