UP मदरसा एक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने बताया संवैधानिक, 17 लाख छात्रों को राहत

मदरसा एक्ट पर यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनाया है।

Nov 5, 2024 - 12:44
Nov 5, 2024 - 12:46
 12
UP मदरसा एक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने बताया संवैधानिक, 17 लाख छात्रों को राहत
Advertisement
Advertisement

उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें कोर्ट ने मदरसा एक्ट को संविधान के खिलाफ बताया था। मदरसा एक्ट पर यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनाया है।

बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं था, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मदरसा एक्ट को भी सही करार दिया है, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के 16 हजार मदरसों को राहत मिली है। यानी अब यूपी में मदरसे चलते रहेंगे, यूपी राज्य में कुल मदरसों की संख्या करीब 23,500 है। इनमें से 16,513 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं।

यानी ये सभी रजिस्टर्ड हैं, इसके अलावा करीब 8000 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं, मान्यता प्राप्त मदरसों में 560 ऐसे हैं जो सहायता प्राप्त हैं, यानी 560 मदरसे सरकारी पैसे से चलते हैं। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि, सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि फाजिल और कामिल के तहत डिग्री देना राज्य के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यह यूजीसी एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने कानून को क्यों रद्द किया?

अंशुमान सिंह राठौर नामक व्यक्ति ने मदरसा बोर्ड एक्ट के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। राठौर ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने इस पर 22 मार्च को अपना फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 'असंवैधानिक' है और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। साथ ही राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को सामान्य स्कूली शिक्षा प्रणाली में शामिल करे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था, 'मदरसा एक्ट 2004 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है, जो भारत के संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।' कोर्ट ने यह भी कहा था कि सरकार को धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड या किसी धर्म विशेष के लिए स्कूली शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने का अधिकार नहीं है।

क्या है मदरसा एक्ट?

उत्तर प्रदेश में यह कानून 2004 में बनाया गया था। इसके तहत मदरसा बोर्ड का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित करना था। इसमें अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक अध्ययन, तिब्ब (पारंपरिक चिकित्सा), दर्शनशास्त्र जैसी शिक्षा को परिभाषित किया गया है।

यूपी में 25 हजार मदरसे हैं, जिनमें से करीब 16 हजार को यूपी मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। साढ़े आठ हजार मदरसे ऐसे हैं जिन्हें मदरसा बोर्ड से मान्यता नहीं है।

मदरसा बोर्ड 'कामिल' नाम से अंडर ग्रेजुएशन की डिग्री और 'फाजिल' नाम से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री देता है। इसके तहत एक डिप्लोमा भी कराया जाता है, जिसे 'कारी' कहते हैं। बोर्ड हर साल मुंशी और मौलवी (10वीं कक्षा) और आलिम (12वीं कक्षा) की परीक्षा भी आयोजित करता है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow