चांदी ने सोने को पछाड़ा…सातवें आसमान पर पहुंचे दाम, जानें क्या है खास वजह
चांदी की कीमत बाज़ार में ₹2.078 लाख के रिकॉर्ड के ऊँचे स्तर पर पहुंच गई है। इसके संभावित कारणों में बढ़ी हुई मांग और सीमित सप्लाई, कमज़ोर रुपया, और आने वाले दिनों में फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना शामिल है।
इन दिनों बाजार में चांदी की ‘सफेद आंधी’ का ज़ोरदार दौर देखने को मिल रहा है। मंगलवार को जब देश का वायदा बाजार बंद हुआ, तब चांदी के भाव 2.07 लाख रुपये के स्तर को पार कर चुके थे। कारोबार के दौरान तो चांदी ने नया ऑल-टाइम हाई भी बना लिया था।
चांदी की कीमतों में यह उछाल अचानक नहीं आया है। इसके पीछे कई मजबूत वजहें हैं, जिनमें सबसे अहम है इंडस्ट्रियल इस्तेमाल और निवेश मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर सप्लाई और प्रोडक्शन में कमी भी कीमतों को लगातार ऊपर की ओर धकेल रही है। वहीं, रुपये की कमजोरी ने भी घरेलू बाजार में चांदी को और महंगा बना दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका से आए हालिया जॉब डेटा ने यह संकेत दिया है कि फेडरल रिजर्व आने वाले समय में एक और ब्याज दर कटौती कर सकता है। अगर ऐसा होता है, तो चांदी की कीमतों में और तेज़ उछाल देखने को मिल सकता है। ऐसे में चांदी फिलहाल निवेशकों के रडार पर बनी हुई है।
सोने से बेहतर साबित हो रही चांदी
हाल के दिनों में कीमती धातुओं के बाजार में चांदी ने सोने को भी पीछे छोड़ दिया है। कॉमेक्स पर चांदी का वायदा भाव पहली बार 66 डॉलर प्रति औसत के पार निकल गया है। मार्च 2026 कॉन्ट्रैक्ट में 5.25 फीसदी की तेजी के साथ चांदी 66.65 डॉलर प्रति औंस के लाइफटाइम हाई पर पहुंच गई।
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चांदी का प्रदर्शन इस वक्त सोने से कहीं ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक कमजोर रहने के बाद अब चांदी ने दमदार वापसी की है। इतिहास भी गवाह है कि बड़े बुल रन के दौरान चांदी अक्सर सोने से बेहतर रिटर्न देती है।
इंडस्ट्रियल और निवेश मांग ने बढ़ाई चमक
इसी के साथ चांदी की तेजी के पीछे इंडस्ट्रियल जरूरतों, निवेश प्रवाह और सीमित सप्लाई का बड़ा योगदान है। हाई-टेक सेक्टर में बढ़ती मांग और निवेशकों की दिलचस्पी को जोड़ दिया जाए, तो इस साल चांदी में 100 फीसदी से ज्यादा की तेजी की मजबूत जमीन तैयार होती दिख रही है।
चांदी ने इस बार कच्चे तेल की तुलना में भी बेहतर प्रदर्शन किया है। 65 डॉलर का स्तर पार करना चांदी के लिए एक नए दौर की शुरुआत माना जा रहा है। करीब 40 साल बाद ऐसा देखने को मिला है जब चांदी ने कच्चे तेल को पीछे छोड़ दिया हो।
सप्लाई की कमी और रुपये की कमजोरी
चांदी की सप्लाई लगातार पांचवें साल घाटे में बनी हुई है। दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी ने हालात और मुश्किल कर दिए हैं। मौजूदा साल में रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 6 फीसदी टूट चुका है और जानकारों का मानना है कि यह गिरावट 2026 की पहली छमाही तक जारी रह सकती है। इसका सीधा फायदा चांदी की कीमतों को मिल सकता है।
घरेलू बाजार में रिकॉर्ड स्तर
देश के वायदा बाजार की बात करें तो मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर मंगलवार देर रात चांदी 2,07,833 रुपये प्रति किलो के साथ लाइफटाइम हाई पर पहुंच गई थी। हालांकि बाजार बंद होने के बाद भाव थोड़े फिसलकर 2,07,435 रुपये पर आ गए। वहीं, गुरुवार सुबह हल्की गिरावट देखने को मिली।
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