पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की 'GMADA' को फटकार, सरकारी ओल्ड एज होम न बनने पर मांगा जवाब
पंजाब और हरियाणा में बुजुर्ग नागरिकों के लिए सरकारी ओल्ड एज होम न बनाए जाने के लिए पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट ने GMADA को कड़ी फटकार लगाई है।
पंजाब और हरियाणा में बुजुर्ग नागरिकों के लिए सरकारी ओल्ड एज होम न बनाए जाने के लिए पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट ने GMADA को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत के अनुसार यह मामला “वृद्ध नागरिकों के संवैधानिक और मानवीय अधिकारों” से जुड़ा है, इसलिए देरी को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
10 फरवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश
जस्टिस विक्रम अग्रवाल की एकल पीठ ने यह आदेश मोहाली के डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी की ओर से दायर कंटेम्प्ट याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। कोर्ट ने Greater Mohali Area Development Authority (GMADA) को आदेश दिया है कि वे 10 फरवरी 2026 तक स्टेटस रिपोर्ट और लिखित जवाब दाखिल करें। जिसमें जानकारी दी जाए कि सरकारी ओल्ड एज होम के निर्माण को लेकर अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
मोहाली के डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी ने कही ये बात
मोहाली के डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी का आरोप सरकारें हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही हैं। कंटेम्प्ट याचिका में आरोप लगाया गया है कि 2014 में दायर जनहित याचिका (PIL) के दौरान हाईकोर्ट के समक्ष जो अंडरटेकिंग दी थी, उसका अब तक पालन नहीं किया गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह “अदालत के आदेशों की सीधी अवहेलना” है, इसलिए जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ Contempt of Courts Act, 1971 और संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत कार्रवाई की जाए।
क्या है कंटेम्प्ट याचिका ?
कंटेम्प्ट याचिका को “न्यायालय की अवमानना याचिका” भी कहा जाता है। यहृ एक ऐसी कानूनी प्रक्रिया है, जिसके तहत अदालत के आदेश, निर्णय या निर्देश का जानबूझकर उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या संस्था के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है।
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