पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सात दिनों के भीतर शंभू सीमा खोलने का आदेश दिया

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को अंबाला के निकट शंभू सीमा पर लगाए गए अवरोधक एक सप्ताह के भीतर हटाने का बुधवार को आदेश दिया। किसान 13 फरवरी से शंभू सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, जब उनके ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोक दिया गया था।

Jul 10, 2024 - 18:16
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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सात दिनों के भीतर शंभू सीमा खोलने का आदेश दिया
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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को अंबाला के निकट शंभू सीमा पर लगाए गए अवरोधक एक सप्ताह के भीतर हटाने का बुधवार को आदेश दिया।

किसान 13 फरवरी से शंभू सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, जब उनके ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोक दिया गया था।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में दिल्ली कूच करने की घोषणा की थी, जिसके बाद हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवरोधक लगा दिए थे।

अदालत का यह निर्देश, किसानों से जुड़े मुद्दों तथा पंजाब और हरियाणा के बीच सीमा बंद करने के खिलाफ दायर याचिकाओं के एक समूह पर आया है।

यह निर्देश न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और न्यायमूर्ति विकास बहल की खंडपीठ ने जारी किया।

इस बीच, किसानों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 16 जुलाई को बैठक बुलाई है।

सुनवाई के बाद, हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि अदालत ने राज्य सरकार को सात दिनों के भीतर अवरोध हटाने के निर्देश दिए हैं।

अदालत ने यह भी कहा कि कानून-व्यवस्था से जुड़ी स्थिति उत्पन्न होने पर यह कानून के अनुसार एहतियाती कार्रवाई कर सकती है।

सभरवाल ने बताया कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पंजाब सरकार को भी इसी तरह के निर्देश दिए गए हैं, साथ ही पंजाब की तरफ अगर कोई अवरोधक लगाया गया था तो उसे भी हटाने को कहा गया है।

उन्होंने कहा कि राजमार्ग खोलने का आदेश दिया गया है।

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व किया था।

हालांकि, सुरक्षा बलों ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। इसके बाद, किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।

पंजाब-हरियाणा सीमा पर 21 फरवरी को खनौरी सीमा पर हुई झड़पों में बठिंडा निवासी शुभकरण की मौत हो गई थी और कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

सभरवाल ने कहा, ‘‘हमने (हरियाणा ने) कहा था कि 10 फरवरी से अवरोधक लगाए गए थे, जो कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए थे। किसान पंजाब की तरफ बैठे हैं। वर्तमान में उनकी संख्या लगभग 400-500 है।’’

उच्च न्यायालय के बाहर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए सभरवाल ने कहा कि हरियाणा और पंजाब, दोनों ने स्थान निर्धारित कर दिए हैं और सभी को निर्दिष्ट स्थान पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन राजमार्गों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने अदालत के समक्ष यह मुद्दा रखा कि पंजाब सरकार को उन्हें (प्रदर्शनकारी किसानों को) एक निर्दिष्ट स्थान पर स्थानांतरित करना चाहिए।’’

एक अन्य मुद्दे पर सभरवाल ने कहा कि झज्जर के पुलिस आयुक्त सतीश बालन को शुभकरण सिंह मामले की जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच दल) प्रमुख नामित किया गया है।

इस बीच, अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि उन्होंने आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए 16 जुलाई को दोनों मंचों - एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम - की बैठक बुलाई है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि हमने सड़क को अवरुद्ध नहीं किया है। केंद्र और हरियाणा सरकार ने अवरोधक लगाये थे।’’

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, ‘‘हमारा यह कहना रहा है कि हरियाणा सरकार ने राजमार्ग को अवरुद्ध किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना हर किसी का लोकतांत्रिक अधिकार है। इसी के तहत हमारा दिल्ली जाने का कार्यक्रम था, लेकिन हरियाणा सरकार ने अवरोधक लगाकर हमें रोक दिया।’’

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