One Nation One Election: क्या है केंद्र सरकार का प्रस्ताव, इसी सत्र में सरकार पेश कर सकती है बिल
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश करने की तैयारी में है। इस प्रक्रिया में संसद की संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee), राज्यों की विधानसभाओं के स्पीकर, बुद्धिजीवी, और आम जनता की राय भी शामिल की जाएगी।
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है। इस प्रक्रिया में संसद की संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee), राज्यों की विधानसभाओं के स्पीकर, बुद्धिजीवी, और आम जनता की राय भी शामिल की जाएगी।
क्या है 'वन नेशन, वन इलेक्शन'?
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का अर्थ है कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। वर्तमान में, भारत में लोकसभा और विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया बार-बार होती रहती है। इस नई व्यवस्था के तहत, एक निर्धारित समय पर सभी राज्यों और केंद्र के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है।
पैनल की सिफारिश और रिपोर्ट
2 सितंबर 2023 को, सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया था, जिसका उद्देश्य ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की व्यवहारिकता और संभावनाओं का अध्ययन करना था। पैनल ने 191 दिनों की गहन रिसर्च के बाद 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
इस पैनल ने सभी संबंधित हितधारकों (stakeholders) और विशेषज्ञों से चर्चा कर विभिन्न पहलुओं पर विचार किया।
वन नेशन, वन इलेक्शन के संभावित लाभ
-
वित्तीय बचत: बार-बार चुनाव होने से सरकार और चुनाव आयोग पर भारी खर्च होता है। एक साथ चुनाव कराने से खर्च में भारी कटौती होगी।
-
प्रशासनिक कार्यक्षमता: बार-बार चुनाव होने से सरकारी कार्य बाधित होते हैं। चुनावी आचार संहिता लागू होने से विकास योजनाओं पर विराम लग जाता है। एक साथ चुनाव होने से प्रशासनिक कामकाज सुचारु रहेगा।
-
मतदाता जागरूकता: एक बार में सभी चुनाव होने से मतदाता अधिक जागरूक होंगे और मतदान में भागीदारी बढ़ेगी।
-
राजनीतिक स्थिरता: एक साथ चुनाव होने से बार-बार राजनीतिक अस्थिरता और गठबंधन की राजनीति से राहत मिलेगी।
चुनौतियां और आलोचना
-
संवैधानिक संशोधन: इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए संविधान के कई अनुच्छेदों में संशोधन की जरूरत होगी।
-
राज्य अधिकारों का हनन: कुछ आलोचकों का मानना है कि राज्यों की स्वायत्तता कम हो सकती है, क्योंकि विधानसभा चुनावों को लोकसभा के साथ जोड़ने से राज्य सरकारों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
-
विभिन्न कार्यकाल: यदि किसी राज्य सरकार की कार्यकाल बीच में खत्म हो जाए, तो उस स्थिति में चुनाव का प्रबंधन कैसे होगा, यह एक बड़ी चुनौती है।
-
लॉजिस्टिक मुद्दे: पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) और अन्य संसाधनों की आवश्यकता होगी।
कैसे आगे बढ़ेगी प्रक्रिया ?
- संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास बिल को चर्चा के लिए भेजा जा सकता है।
- राज्यों की विधानसभाओं के स्पीकर, बुद्धिजीवियों और अन्य स्टेकहोल्डर्स की राय ली जाएगी।
- जनमत संग्रह या जनता की राय भी इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
What's Your Reaction?