बंदी छोड़ दिवस पर श्री हरमंदिर साहिब में आस्था की अलौकिक झलक, लाखों दीपों से जगमगाया अमृतसर

पंजाब ही नहीं, पूरे देश में मंगलवार को बंदी छोड़ दिवस को पूरी श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर श्री हरमंदिर साहिब में अलौकिक नज़ारा देखने को मिला। पूरा परिसर रोशनी से नहाया हुआ

Oct 21, 2025 - 20:24
Oct 22, 2025 - 14:17
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बंदी छोड़ दिवस पर श्री हरमंदिर साहिब में आस्था की अलौकिक झलक, लाखों दीपों से जगमगाया अमृतसर

पंजाब ही नहीं, पूरे देश में मंगलवार को बंदी छोड़ दिवस को पूरी श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर श्री हरमंदिर साहिब में अलौकिक नज़ारा देखने को मिला। पूरा परिसर रोशनी से नहाया हुआ था, जहां श्रद्धालुओं की आस्था ने एक नई ऊर्जा का संचार किया।

एक लाख घी के दीये और ग्रीन आतिशबाजी
हरमंदिर साहिब परिसर के पवित्र सरोवर के चारों ओर करीब एक लाख घी के दीये जलाए गए। इसके अतिरिक्त, वातावरण को ध्यान में रखते हुए ग्रीन आतिशबाजी की गई और मोमबत्तियों से परिसर को सजाया गया। चारों तरफ फैली रोशनी ने इस ऐतिहासिक स्थल को दिव्यता की आभा से भर दिया।

लाखों श्रद्धालुओं ने टेका मत्था
बंदी छोड़ दिवस के उपलक्ष्य में देशभर से लाखों की संख्या में संगत श्री हरमंदिर साहिब पहुंची और मत्था टेककर आशीर्वाद प्राप्त किया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बावजूद, व्यवस्था शांतिपूर्ण और सुसंगठित रही।

बंदी छोड़ दिवस का ऐतिहासिक महत्व
श्री हरमंदिर साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह जी ने इस मौके पर बताया कि बंदी छोड़ दिवस सिर्फ दीपों और रोशनी का पर्व नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्रता, न्याय और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है।

उन्होंने बताया कि श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने ग्वालियर के किले में कैद 52 राजाओं को मुक्त कराया था और जब वे अमृतसर लौटे, तो संगत ने घी के दीप जलाकर और आतिशबाजी कर उनका स्वागत किया था। तभी से यह दिन हर साल "बंदी छोड़ दिवस" के रूप में मनाया जाता है।

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