Iran-Israel War ही नहीं पूरे मिडिल ईस्ट की आग में झुलस सकता है भारत, महंगाई से लेकर शेयर बाजार तक ऐसे होगा असर
बल्कि इसका असर सबसे पहले पूरे पश्चिम एशिया (मध्य पूर्व) में देखने को मिलेगा और भारत भी इस आग में झुलस सकता है। इसका असर देश में शेयर बाजार से लेकर महंगाई तक देखने को मिलेगा।
ईरान और इजराइल के बीच छिड़ा युद्ध हर दिन नया मोड़ ले रहा है। मंगलवार को ईरान ने इजराइल पर मिसाइलों से हमला करके इसे दूसरे स्तर पर पहुंचा दिया है। ऐसे में अब इस आग के इजराइल, ईरान और लेबनान तक सीमित रहने की संभावना कम हो गई है, बल्कि इसका असर सबसे पहले पूरे पश्चिम एशिया (मध्य पूर्व) में देखने को मिलेगा और भारत भी इस आग में झुलस सकता है। इसका असर देश में शेयर बाजार से लेकर महंगाई तक देखने को मिलेगा।
भारत में महंगाई पर असर
ईरान-इजराइल युद्ध का सबसे ज्यादा असर भारत में महंगाई पर देखने को मिल सकता है। इसकी वजह यह है कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा पेट्रोलियम आयात करता है। भारत में पेट्रोल और डीजल का महंगाई से सीधा कनेक्शन है, क्योंकि हम अभी भी माल ढुलाई के लिए काफी हद तक सड़क परिवहन पर निर्भर हैं। ऐसे में अगर ईरान-इजराइल युद्ध की वजह से पेट्रोलियम के दाम बढ़ते हैं तो भारत में सब्जियों से लेकर दूध और दूसरी सभी जरूरी चीजों के दाम बढ़ना तय है।
मंगलवार को ईरान के इजराइल पर हमले का असर कच्चे तेल की कीमतों पर भी देखने को मिला है। इनके दामों में 4 फीसदी का उछाल देखा गया है। ब्रेंट फ्यूचर्स का रेट 3.5 फीसदी बढ़कर 74.2 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड ऑयल 2.54 डॉलर यानी 3.7 फीसदी बढ़कर 70.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।
क्या ब्याज दरें पहले जैसी ही रहेंगी?
ईरान-इजराइल युद्ध के इस नए घटनाक्रम के बाद अब देखना होगा कि अगले सप्ताह होने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कटौती का फैसला लिया जाएगा या नहीं। आरबीआई इस समय एक नहीं बल्कि कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। पहले तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पिछले महीने ब्याज दरें घटाईं, दूसरे चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को 142 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज दिया और अब ईरान-इजराइल युद्ध ने कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ला दिया है और इसके कारण महंगाई बढ़ने का डर है, ऐसे में आरबीआई को बड़ी मुश्किल से काबू में आई महंगाई को फिर से बेकाबू होने से रोकने के लिए कोई फैसला लेना होगा।
लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं होगी क्योंकि आने वाले त्योहारी सीजन में आरबीआई को देश के अंदर मांग बढ़ाने के लिए भी संतुलन बनाना होगा। अभी देश में मांग की हालत ऐसी है कि कार डीलरों के पास 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कारें इनवेंटरी में पड़ी हैं। कार कंपनियों ने कारों पर भारी डिस्काउंट ऑफर पेश किए हैं।
इसका शेयर बाजार पर क्या असर होगा?
भारतीय शेयर बाजार दुनिया के बाकी बाजारों की तरह अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से प्रभावित होता है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले तीन हफ्तों में एसएंडपी में 1.4 फीसदी की गिरावट आई है। आईटी सेक्टर में सुस्ती है। एप्पल, एनवीडिया और माइक्रोसॉफ्ट के शेयरों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। रेहोल्ट्ज वेल्थ मैनेजमेंट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए टीओआई ने कहा है कि ईरान-इजराइल युद्ध का असर यह हुआ है कि कच्चे तेल और सोने की कीमत में तेजी आई है, जबकि शेयर बाजार में सुस्ती है।
ईरान-इजराइल युद्ध का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा, क्योंकि इससे बाजार में एफआईआई का पैसा फ्लो गड़बड़ा जाएगा। इसके अलावा कच्चे तेल के मूल्य सूचकांक, डॉलर सूचकांक और सोने की ऊंची कीमतें बाजार की चाल को प्रभावित करेंगी। इतना ही नहीं, इस दौरान चीन द्वारा अर्थव्यवस्था के लिए दिए गए बेलआउट पैकेज ने वहां के शेयर बाजार में तेजी पैदा की है, जिससे एफआईआई के पैसे का मूवमेंट भारतीय बाजार की बजाय चीन की तरफ हो सकता है। इससे भारतीय शेयर बाजार में करेक्शन की संभावना पैदा होने लगी है।
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