थाईलैंड-कंबोडिया की सीमा पर जबरदस्त गोलीबारी, फायरिंग और हवाई हमले में कई लोगों की मौत
थाईलैंड की बमबारी से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है। इससे भारत के पड़ोस में भीषण युद्ध छिड़ने की आशंका बढ़ गई है। दोनों देशों के बीच इस झड़प की वजह दशकों पुराना सीमा विवाद है।
थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर गुरुवार सुबह शुरू हुई झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर गोलीबारी का आरोप लगाया है। सीमा पर सैनिकों की गोलीबारी के बाद थाईलैंड ने लड़ाकू विमान F-16 तैनात किए हैं और हवाई हमले भी किए हैं। थाईलैंड की बमबारी से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है। इससे भारत के पड़ोस में भीषण युद्ध छिड़ने की आशंका बढ़ गई है। दोनों देशों के बीच इस झड़प की वजह दशकों पुराना सीमा विवाद है।
कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि थाईलैंड ने उसके इलाके में हवाई हमले किए हैं। कंबोडिया ने कहा है कि थाई सेना ने F-16 लड़ाकू विमानों से वाट काऊ किरी स्वरुक पैगोडा जाने वाली सड़क पर बम गिराए हैं। थाईलैंड ने दावा किया है कि उसने इस झड़प में छह F-16 विमान तैनात किए हैं और कंबोडिया के दो क्षेत्रीय सैन्य मुख्यालयों को नष्ट कर दिया है। इससे नाराज़ कंबोडिया ने कहा है कि वह इन हमलों का जवाब देगा।
दोनों देश कैसे दुश्मन बन गए
कंबोडिया और थाईलैंड पड़ोसी हैं, लेकिन आज ये दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसी देश युद्ध के कगार पर हैं। मौजूदा तनाव 28 मई को शुरू हुआ, जब एक झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया। यह घटना एमराल्ड ट्रायंगल नामक क्षेत्र में हुई, जो थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की साझा सीमा है। यह क्षेत्र लगातार विवादित बना हुआ है क्योंकि थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ही इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर अपना दावा करते हैं। दोनों देश 29 मई से एक-दूसरे पर हमले कर रहे हैं।
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा है। फ्रांस ने 1863 से 1953 तक कंबोडिया पर कब्ज़ा किया था, और इस प्रकार फ्रांस ने 1907 में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्राकृतिक जलविभाजक रेखा पर हुए समझौते के आधार पर सीमा का अधिकांश भाग निर्धारित किया। बाद के वर्षों में थाईलैंड ने इस मानचित्र पर आपत्ति जताते हुए कहा कि डांगरेक पर्वत पर स्थित 11वीं शताब्दी का प्रीह विहियर मंदिर कंबोडिया में स्थित है। मानचित्र पर मतभेद के कारण सीमा पर ऐसे क्षेत्र बन गए जिन पर दोनों देश अपना-अपना दावा करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मामला
कंबोडिया ने 1959 में मंदिर विवाद को लेकर थाईलैंड को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में घसीटा और 1962 में न्यायालय ने फैसला सुनाया कि प्रीह विहियर कंबोडियाई क्षेत्र में आता है। थाईलैंड ने उस समय इसे स्वीकार कर लिया था, लेकिन तर्क दिया था कि आसपास की सीमाएँ विवादित हैं। इससे सीमा रेखाएँ और जटिल हो गईं। ये तनाव 2008 में और बढ़ गए, जब कंबोडिया ने प्रीह विहियर मंदिर के लिए यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा माँगा। जुलाई में मंदिर को मान्यता मिलने के बाद, सीमा क्षेत्र के पास कंबोडियाई और थाई सैनिकों के बीच सैन्य झड़पें शुरू हो गईं।
ये झड़पें जारी रहीं और 2011 में चरम पर पहुँच गईं। उस वर्ष 36,000 लोग विस्थापित हुए। दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष तो रुक गया, लेकिन आंतरिक तनाव जारी रहा। थाईलैंड ने सीमा विवादों को सुलझाने में मदद के लिए एक संयुक्त सीमा आयोग (JBC) का भी गठन किया, लेकिन इसकी बैठकों से कोई खास नतीजा नहीं निकला। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मामलों और कई झड़पों के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। हाल के हफ़्तों में, इसने बहुत बुरा रुख अख्तियार कर लिया है।
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