कमला हैरिस ने 3 दिन में जुटाए इतने करोड़ रुपए, जानें अमेरिकी चुनाव में फंडिंग कैसे होती है ?
राष्ट्रपति जो बाइडन के उम्मीदवारी से हटने के बाद अब अमेरिका और डेमोक्रेटिक पार्टी में कमला हैरिस को लेकर माहौल बनने लगा है। पार्टी के दिग्गज नेता हैरिस के पक्ष में खड़े होने लगे हैं। एक ताजा सर्वे में लोगों ने डोनाल्ड ट्रंप के मुकाबले हैरिस को ज्यादा वोट दिए हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडन के उम्मीदवारी से हटने के बाद अब अमेरिका और डेमोक्रेटिक पार्टी में कमला हैरिस को लेकर माहौल बनने लगा है। पार्टी के दिग्गज नेता हैरिस के पक्ष में खड़े होने लगे हैं। एक ताजा सर्वे में लोगों ने डोनाल्ड ट्रंप के मुकाबले हैरिस को ज्यादा वोट दिए हैं। चुनाव फंड में भी हैरिस के नाम पर तेजी से पैसा जमा हो रहा है। लेकिन सवाल ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फंडिंग कैसेहोती है और बाइडेन ने जो पैसे जुटाए उनका क्या होगा।
21 जुलाई 2024 अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया और फिर बाइडेन ने कमला हैरिस के नाम का समर्थन किया।59 वर्षीय कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला और पहली अश्वेत उपराष्ट्रपति हैं। फिलहाल उनका नाम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दौड़ में सबसे आगे चल रहा है। जो बाइडन ने भी उनके नाम का समर्थन किया है। देखिए अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव दुनिया का सबसे महंगे चुनावों में से एक माना जाता है। 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में 14 बिलियन डॉलर, यानी करीब 1.17 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए। 2016 में हुए चुनाव की तुलना में ये रकम दोगुनी है। मीडिया इन्वेस्टमेंट कंपनी ग्रुप-एम के मुताबिक, 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 15.9 बिलियन डॉलर, यानी करीब 1.33 लाख करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। अब सवाल ये है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के लिए कैंडिडेट इतना फंड कहां से लाते हैं?तो बता दें कि कैंडिडेट दो तरीके से फंड जुटा सकते हैं- पब्लिक फंड और प्राइवेट फंड। ज्यादातर कैंडिडेट पब्लिक फंड यानी सरकारी पैसों का इस्तेमाल नहीं करते, क्योंकि इसमें शर्त है कि पब्लिक फंड इस्तेमाल करने वाले कैंडिडेट प्राइवेट फंड नहीं ले सकते। पब्लिक फंड लिमिटेड होता है, जबकि प्राइवेट फंड जुटाने की कोई सीमा नहीं। कैंडिडेट्स को प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस, कंपनियों, कॉर्पोरेशंस और लोगों से फंड मिलते हैं। पब्लिक फंड का इस्तेमाल वही कैंडिडेट कर सकते हैं, जिन्हें लोगों का अच्छा सपोर्ट हो। इसे साबित करने के लिए कैंडिडेट को प्राइमरी इलेक्शन के दौरान 50 में से 20 राज्यों में मिनिमम 5,000 डॉलर यानी 4.15 लाख रुपए प्रत्येक राज्य से जुटाने होते हैं।
यानी कुल 1 लाख डॉलर यानी 83 लाख रुपए से ज्यादा फंड जुटाना होता है। इसमें वह केवल छोटे डोनेशन इकट्ठे कर सकते हैं, जो 250 डॉलर यानी 20,000 रुपए से कम होंगे। साथ ही कैंडिडेट कोई प्राइवेट डोनेशन नहीं ले सकते और उन्हें लिमिटेड खर्च करना होता है।बता दें कि इलेक्शन में कैंडिडेट खुद के 50 हजार डॉलर यानी 41 लाख रुपए से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते हैं। उन्हें चुनावी खर्च को ऑडिट कराने के लिए खर्च की रिपोर्ट इलेक्शन कमीशन को देनी होगी। इन शर्तों को पूरा करने वाले कैंडिडेट प्राइमरी और जनरल इलेक्शन में पब्लिक फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन पार्टियां इस फंड का इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं।बता दें कि 2008 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पहले प्रमुख उम्मीदवार थे, जिन्होंने पूरा चुनाव पब्लिक फंड पर लड़ा था। इसके बाद से किसी प्रमुख कैंडिडेट ने पब्लिक फंड का इस्तेमाल नहीं किया।
अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि बाइडेन के नाम वापस लेने के बाद फंड का क्या होगा? तो बता दें कि बाइडेन-हैरिस कैम्पेन से डेमोक्रेटिक पार्टी को 762 करोड़ रुपए चंदे के तौर पर मिले हैं। दरअसल, कमला भी बाइडेन के इलेक्टोरल टिकट का हिस्सा थीं। ऐसे में बाइडेन के फंड का इस्तेमाल कमला कर सकती हैं।फेडरल इलेक्शन कमीशन की कमिश्नर डेरा लिंडेनबाम ने एक इंटरव्यू में कहा, 'अगर कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट तय होती हैं, तो ये सारा फंड उन्हें मिल सकता है और वो इसे इस्तेमाल कर सकती हैं।'हालांकि, नियमों के मुताबिक, बाइडेन को ये चंदा डोनर्स को रिफंड करना होगा। ऐसे में कमला ने अपने सोशल मीडिया पर डोनर्स से चंदा देने की अपील की है, जो कि कारगर साबित हो रही है। बीते तीन दिन में कमला हैरिस ने 2095 करोड़ रुपए की फंडिंग जुटा ली है।
What's Your Reaction?