महाकुंभ में पहुंचे हठ योगी महंत रूपेश गिरी, 24 घंटे खड़े रहकर करते हैं साधना
महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर आयोजित होता है, जिसे तीर्थराज भी कहा जाता है।
प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में तमाम तरह के साधु-संतों ने अपनी साधना शुरु कर दी हैं। वहीं उत्तराखंड से आए हठ योगी महंत रूपेश गिरी की कठिन साधना पूरे महाकुंभ में चर्चा का विषय बनी हुई है। बता दें कि महंत जी ने संकल्प लिया है कि वो 12 वर्षों तक सिर्फ खड़े हो कर साधना करेंग।
उत्तराखंड के चंपावत के रहने वाले रूपेश गिरी महराज 24 घंटे खड़े ही रहते हैं। उनका सोना-जागना और तमाम कार्य इसी मुद्रा में संपन्न होती है। वहीं महराज जी ने अपने आवागमन के लिए एक विशेष जीप का भी इंतजाम किया है जिसे कुछ तरह से डिजाइन किया गया है कि उसे वो खड़े होकर ड्राइव कर सकते हैं।
महंत रूपेश गिरी ने बताया कि कठिन हठ योग के 6 वर्ष उन्होंने पूरे कर लिए है अगर उनका संकल्प 12 वर्षों में पूरा हो जाएगा तब भी वह आजीवन भी ऐसे ही खड़े रह कर साधना करते रहेंगे।
महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होने जा रहा है, जो कि पौष पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। यह महाकुंभ 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है और इसमें लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। इस बार के महाकुंभ में 'अनाज वाले बाबा' के नाम से मशहूर अमरजीत भी शामिल हुए हैं, जो अपनी विशेष पहचान के लिए जाने जाते हैं।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर आयोजित होता है, जिसे तीर्थराज भी कहा जाता है। इस मेले में स्नान का विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से भक्तों के पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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