गुरुग्राम के 700 बेड के सरकारी अस्पताल के नाम श्री गुरु नानक देव के नाम पर होगा, मुख्यमंत्री नायब सैनी ने की घोषणा
सिख समाज की ओर से हरियाणा के किसी भी विश्वविद्यालय में गुरु नानक देव जी के नाम से एक चेयर की स्थापना की मांग के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग की 18 जनवरी, 2024 की नीति अनुसार ऐसे प्रस्ताव को स्वीकृति देने का निर्णय किया है।
एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रथम पातशाह श्री गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व पर घोषणा करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा गुरुग्राम में लगभग 1000 करोड़ रुपए की लागत से 700 बेड के सरकारी अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। सरकार ने निर्णय लिया है कि इस अस्पताल का नामकरण श्री गुरु नानक देव जी के नाम पर किया जाएगा।
इसके अलावा, सिख समाज की ओर से हरियाणा के किसी भी विश्वविद्यालय में गुरु नानक देव जी के नाम से एक चेयर की स्थापना की मांग के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग की 18 जनवरी, 2024 की नीति अनुसार ऐसे प्रस्ताव को स्वीकृति देने का निर्णय किया है।
उन्होंने कहा कि इससे पहले, वर्ष 2019 में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर उनकी 'एक पिता एकस के हम बारक' की शिक्षा पर चलते हुए हरियाणा और पंजाब विधानसभा का संयुक्त सत्र आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से 9 नवम्बर, 2019 को करतारपुर साहिब कॉरिडोर का शुभारंभ भी किया गया था। इस पहल को यह गरिमामयी सदन श्रद्धापूर्वक याद करता है। यह सदन मानता है कि यह कॉरिडोर श्री गुरु नानक देव जी की हमारे प्रति अपार कृपा के कारण ही बन पाया है। उन्होंने 22 देशों में जाकर संदेश दिया था कि धरती और समाज पर आदमी द्वारा खींची गई लकीरों से धर्म बहुत ऊपर है।
नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा सौभाग्यशाली है कि यहां 16वीं शताब्दी के आरंभ में श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी चरण धूलि से इस धरा को पावन किया। उन्होंने अपनी विभिन्न उदासियों के दौरान हरियाणा पधार कर यहां के जन समुदाय को धर्म की सच्ची राह दिखाई। ईस्वी सन् 1508 में अपनी पहली उदासी में वे सुल्तानपुर होते हुए सिरसा पहुंचे और फिर कराह, पिहोवा, कुरुक्षेत्र और कपालमोचन पहुंचे। अपनी दूसरी उदासी के दौरान श्री गुरु नानक देव जी करनाल और पानीपत और तीसरी उदासी में पिंजौर, अम्बाला और शाहबाद पधारे थे। इन सब स्थानों पर पहली पातशाही के गुरु घर स्थापित हैं, जो सदियों से श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रकाश फैला रहे हैं। ये स्थान अब पावन तीर्थ बन गए हैं और वर्ष भर संगतें वहां जाकर अपने जीवन को संवार रही हैं।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक बोध, सांसारिक समृद्धि और सामाजिक समरसता के लिए श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को सदा याद किया जाता रहेगा। उन्होंने सदियों पहले मानवता को 'किरत करो, नाम जपो और वंड छको का पाठ पढ़ाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुद्वारा श्री चिल्ला साहिब, सिरसा की बड़ी ऐतिहासिक महत्ता है। यहां पर ही गुरु नानक देव जी के पवित्र चरण पड़े थे और उन्होंने यहां रहकर चालीस दिनों तक तपस्या की थी। सरकार ने गत जुलाई माह में गुरुद्वारा श्री चिल्ला साहिब, सिरसा को 77 कनाल 7 मरला भूमि उपहार स्वरूप निःशुल्क हस्तांतरित की है।
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