सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य घटाकर जीडीपी का 4.9 प्रतिशत किया

राजस्व संग्रह में सुधार से उत्साहित सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य घटाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया है। फरवरी के अंतरिम बजट में इसके 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।

Jul 23, 2024 - 14:27
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सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य घटाकर जीडीपी का 4.9 प्रतिशत किया
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राजस्व संग्रह में सुधार से उत्साहित सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य घटाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया है। फरवरी के अंतरिम बजट में इसके 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मंगलवार को केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार का लक्ष्य वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत तक लाने का है।

उन्होंने लोकसभा में बजट पेश करते हुए कहा, ‘‘ वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उधार के अलावा कुल प्राप्तियां तथा कुल व्यय क्रमशः 32.07 लाख करोड़ रुपये और 48.21 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। शुद्ध कर प्राप्तियां 25.83 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’

निरपेक्ष रूप से राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के लिए पहले अनुमानित 16.85 लाख करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 16.14 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

उन्होंने कहा, ‘‘ 2021 में मेरे द्वारा घोषित राजकोषीय समेकन पथ ने हमारी अर्थव्यवस्था को बहुत अच्छी तरह से सेवा प्रदान की है। हमारा लक्ष्य अगले वर्ष घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे लाना है। सरकार इस राह पर बने रहने के लिए प्रतिबद्ध है।’’

सीतारमण ने कहा, ‘‘ वित्त वर्ष 2026-27 के बाद हमारा प्रयास प्रत्येक वर्ष राजकोषीय घाटे को इस स्तर पर बनाए रखना होगा कि केंद्र सरकार का ऋण सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में कम होता रहे।’’

सरकार ने राजकोषीय घाटे (राजस्व प्राप्ति तथा व्यय के बीच का अंतर) को पूरा करने के लिए अपने कुल बाजार कर्ज लक्ष्य में भी करीब 12,000 करोड़ रुपये की कटौती की है।

सकल बाजार उधारी अब फरवरी के अनुमानित 14.13 लाख करोड़ रुपये से घटकर 14.01 लाख करोड़ रुपये रह गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘ 2024-25 में दिनांकित प्रतिभूतियों के जरिये सकल और शुद्ध बाजार कर्ज क्रमशः 14.01 लाख करोड़ रुपये और 11.63 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। दोनों 2023-24 में इससे कम होंगे।’’

वित्त वर्ष 2023-24 में सकल उधारी 15.43 लाख करोड़ रुपये रही जो अबतक की सर्वाधिक है।

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