Delhi Blast Case : अल-फलाह यूनिवर्सिटी में NIA की गहन पूछताछ, खुल सकते हैं कई राज
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास हुए कार बम धमाके की जांच जारी है। केंद्र और राज्य की एजेंसियां फरीदाबाद के डॉक्टर टेरर मॉड्यूल के पीछे के सपोर्ट सिस्टम का पता लगाने और उसके फाइनेंशियल सपोर्टर्स की पहचान करने के लिए काम कर रही हैं। NIA ने अब आतंकवादी साज़िश का पता लगाने के लिए एक बड़ा प्लान बनाया है।
दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला धमाकों की जांच कर रही नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने सातों गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ के बाद अपनी कार्रवाई का दायरा और विस्तार दे दिया है। एजेंसी ने लखनऊ, कानपुर, सहारनपुर, फरीदाबाद और जम्मू-कश्मीर को विशेष कोर ज़ोन घोषित कर जांच की रफ्तार तेज कर दी है।
सूत्र बताते हैं कि इन शहरों को इसलिए बेहद अहम माना गया है क्योंकि आतंकी मॉड्यूल के पुराने संपर्क, सपोर्ट नेटवर्क और संदिग्ध ठिकाने सबसे अधिक इन्हीं क्षेत्रों में मिले हैं। प्रारंभिक जांच से संकेत है कि यह पूरा नेटवर्क दिल्ली धमाके और जैश के सक्रिय टेरर मॉड्यूल से गहराई से जुड़ा हुआ है। अब NIA आरोपितों को इन शहरों में ले जाकर उनके पुराने रिश्तों, फंडिंग चैन और लोकल सपोर्ट के हर पहलू की विस्तृत जांच करेगी।
डॉक्टरों का ‘हाई-स्किल्ड’ नेटवर्क
जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा यह भी हुआ कि एक समूह ऐसे डॉक्टरों का था जो अपनी प्रोफेशनल पहचान को ढाल बनाकर मॉड्यूल की मदद कर रहे थे। यह नेटवर्क अस्पतालों और क्लिनिक जैसे सुरक्षित स्थानों पर सक्रिय रहता था, ताकि कोई शक न हो।
एजेंसियों के अनुसार, यह पूरा तंत्र “लो एक्सपोज़र, हाई एक्सपर्टीज़” मॉडल पर चलता था — मतलब, बेहद शिक्षित और प्रशिक्षित लोग, जो खुले में नजर नहीं आते थे, लेकिन ऑपरेशन की रीढ़ की हड्डी साबित होते थे। अब NIA इसी छिपे हुए नेटवर्क की परतें खोलने में जुटी है।
शाहीन को किन-किन शहरों में ले गई NIA?
आरोपित डॉ. शाहीन को NIA सबसे पहले फरीदाबाद ले गई, जहाँ उसके संपर्कों, संभावित पनाह देने वालों, लॉजिस्टिक सपोर्ट और फंडिंग से जुड़े लोगों की पहचान करने की कोशिश की गई।
इसके बाद एजेंसी उसे लखनऊ और कानपुर भी ले जा रही है, जहाँ मॉड्यूल के ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) की पहचान जांच की दिशा तय कर सकती है।
सहारनपुर में बरामद संदिग्ध वाहनों की फोरेंसिक और टेक्निकल जांच लगभग पूरी हो चुकी है, जबकि कानपुर में संभावित सेफ-हाउस और किराए पर लिए गए ठिकानों की तलाशी अभी जारी है। डिजिटल डेटा, चैट रिकवरी और लोकेशन एनालिसिस से यह साफ संकेत मिले हैं कि यूपी के कई शहर इस नेटवर्क की गतिविधियों के दायरे में थे।
जैश मॉड्यूल की ‘B-टीम’ कौन है?
जांच एजेंसियों ने मॉड्यूल की पूरी संरचना का चार्ट तैयार कर लिया है, जिसमें जैश की कथित B-टीम भी पहचानी गई है। यह वही लोग हैं जो हमले की योजना या उसे अंजाम देने में सीधे शामिल नहीं थे, लेकिन नेटवर्क को गुप्त रूप से सपोर्ट कर रहे थे।
डॉक्टर मॉड्यूल से संबंधित कई अन्य संदिग्ध भी सामने आए हैं, जिनसे आरोपित लगातार संपर्क में थे। NIA अब इन स्थानीय सहयोगियों की भूमिका की बारीकी से जांच कर रही है—किसने जानबूझकर मदद दी, और किसका उपयोग उनकी जानकारी के बिना किया गया।
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अब जांच एजेंसियों का फोकस इस पूरे नेटवर्क की काम करने की पद्धति को समझना है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह हाई-टेक, कम-प्रकाश वाला मॉडल किस तरह काम करता था और सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाने की कोशिश किस स्तर पर हुई।
NIA का अगला बड़ा कदम इन पाँच शहरों में फैले पूरे सपोर्ट सिस्टम को जड़ से खत्म करने पर होगा, ताकि मॉड्यूल की B-टीम और स्थानीय OGW नेटवर्क पर निर्णायक कार्रवाई की जा सके।
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