हरियाणा में कांग्रेस को सता रहा डर, BJP जैसा न हो जाए हाल! टुकड़ों में जारी कर रही लिस्ट
हरियाणा चुनाव में 67 सीटों पर टिकटों की पहली सूची जारी होने के बाद पार्टी में बगावत के सुर देख कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदल दी है। कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की पांच बैठकों के बाद केंद्रीय चुनाव समिति ने 66 सीटों पर नामों को अंतिम रूप दे दिया था
हरियाणा में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की उम्मीद लगाए नेताओं की बेचैनी बढ़ती जा रही है। नामांकन प्रक्रिया खत्म होने में महज दो दिन बचे हैं, लेकिन पार्टी 49 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं कर पाई है। कांग्रेस संभलकर चल रही है और अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने में जल्दबाजी नहीं कर रही है। प्रदेश की कुल 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने अब तक तीन सूचियों में 41 सीटों पर नामों की घोषणा कर दी है।
हरियाणा चुनाव में 67 सीटों पर टिकटों की पहली सूची जारी होने के बाद पार्टी में बगावत के सुर देख कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदल दी है। कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की पांच बैठकों के बाद केंद्रीय चुनाव समिति ने 66 सीटों पर नामों को अंतिम रूप दे दिया था, लेकिन भाजपा में मची उथल-पुथल के बाद कांग्रेस ने अपने हाथ पीछे खींच लिए। कांग्रेस अब सोची-समझी रणनीति के तहत टुकड़ों-टुकड़ों में प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर रही है, ताकि बगावत की संभावना को टाला जा सके।
बगावत से बढ़ी कांग्रेस की टेंशन
कांग्रेस के 41 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के बाद 8 विधानसभा क्षेत्रों में एक दर्जन से अधिक पार्टी नेताओं ने खुलकर विरोध जताया है। इनमें से कई नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया है। बहादुरगढ़ के मौजूदा विधायक राजेंद्र जून को दोबारा टिकट दिए जाने के बाद चुनाव की तैयारी कर रहे राजेश जून ने बगावत कर दी है। राजेश 2019 में चुनाव लड़ने की उम्मीद में कांग्रेस में शामिल हुए थे। साढौरा विधायक रेणु बाला को टिकट मिलने के बाद बृजपाल छप्पर ने मोर्चा खोल दिया है। इसी तरह बरोदा में मौजूदा विधायक इंदुराज नरवाल की उम्मीदवारी घोषित होने के बाद वरिष्ठ नेता कपूर सिंह नरवाल ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। इसी तरह कांग्रेस में कई नेता ऐसे हैं, जो चुनाव लड़ने की उम्मीद में कांग्रेस में शामिल हुए थे।
कांग्रेस में विधानसभा टिकट की मारामारी
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस से ढाई हजार नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया था। कांग्रेस पर सबसे ज्यादा दबाव उन नेताओं को टिकट देने का है, जो पूर्व मंत्री और दूसरे दलों से विधायक हैं। पिछले दो साल में तीन दर्जन बड़े नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर नेता चुनाव लड़ने की उम्मीद में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इसके अलावा कांग्रेस में ही कई बड़े चेहरे हैं, जो चुनाव लड़ने की कोशिश में हैं। ऐसे में कांग्रेस के कई नेता टिकट के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। इसके अलावा कई सीटों पर नेताओं की नाराजगी भी सामने आई है।
कांग्रेस की स्थिति 'एक अनार, सौ बीमार' जैसी
कांग्रेस से टिकट मांगने वालों की लंबी कतार है। प्रदेश में दो सौ से ज्यादा ऐसे नेता हैं, जो चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। एक-एक सीट पर 20 से 27 नेता टिकट मांग रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस की स्थिति एक अनार और सौ बीमार जैसी हो गई है। कांग्रेस सिर्फ एक ही व्यक्ति को टिकट दे सकती है। ऐसे में कांग्रेस को टिकट न मिलने से बागियों के निर्दलीय चुनाव लड़ने का खतरा सता रहा है। माना जा रहा है कि इसी वजह से कांग्रेस जानबूझकर टुकड़ों में सूची जारी कर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर रही है।
कांग्रेस कैसे दे रही टिकट की हरी झंडी
हरियाणा में जिन नेताओं को टिकट को लेकर कोई असमंजस नहीं है और उनका चुनाव मैदान में उतरना तय है, उन्हें फोन करके नामांकन की तैयारी करने को कहा जा रहा है। सोमवार को करण सिंह दलाल ने बिना टिकट घोषित हुए ही पलवल सीट पर कांग्रेस के सिंबल पर नामांकन दाखिल कर दिया। कई अन्य नेताओं को भी हरी झंडी मिल गई है। कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में जिन 32 उम्मीदवारों के टिकट घोषित किए हैं, उनमें 28 पार्टी के मौजूदा विधायक हैं। इसके अलावा नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर और शाहाबाद से जेजेपी विधायक रामकरण काला को टिकट दिया गया है।
कैसे पूरी होगी सुरजेवाला-शैलजा की मांग
कांग्रेस में टिकट वितरण में हो रही देरी में रणदीप सुरजेवाला और कुमारी शैलजा की भी अहम भूमिका मानी जा रही है। कुमारी शैलजा अब तक अपने चार करीबी नेताओं को नामांकन कराने में सफल रही हैं, जबकि अजय यादव अपने बेटे चिरंजीव राव को टिकट दिलाने में सफल रहे हैं। चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भी अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को कांग्रेस से नामांकन कराया है। न तो रणदीप सुरजेवाला के बेटे को टिकट मिला है और न ही उनके किसी करीबी को उम्मीदवार बनाया गया है। सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने अपने चहेतों के लिए हाईकमान के सामने जोरदार पैरवी की।
दोनों नेता अपने-अपने क्षेत्रों में अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। कुमारी सैलजा की नजर हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिलों की विधानसभा सीटों पर है, जहां से वह कांग्रेस से अपने करीबी नेताओं को टिकट दिलाने की पैरवी कर रही हैं। इस तरह रणदीप सुरजेवाला कैथल और जींद जिलों की सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके चलते कांग्रेस दुविधा में फंस गई है और टिकट में देरी के पीछे यही मुख्य वजह बन गई है।
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