China बनाने जा रहा है ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध, भारत के लिए बन सकता है बड़ा खतरा ! 

भारत और बांग्लादेश को इस परियोजना के संभावित प्रभावों पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी, ताकि वे उचित कदम उठा सकें।

Dec 28, 2024 - 03:07
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China बनाने जा रहा है ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध, भारत के लिए बन सकता है बड़ा खतरा ! 
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पड़ोसी देश चीन ने हाल ही में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दी है, जिसका कुल निवेश 137 अरब अमेरिकी डॉलर है। यह परियोजना तिब्बत में स्थित यारलुंग ज़ंग्बो नदी पर बनाई जाएगी, जो भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है। इस बांध का निर्माण न केवल चीन के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है, बल्कि यह भारत और बांग्लादेश के लिए गंभीर चिंताओं का कारण भी बन रहा है।

बांध का आकार और क्षमता
यह बांध हिमालय क्षेत्र की एक विशाल घाटी में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी एक बड़ा मोड़ लेती है। अनुमानित रूप से, यह बांध हर साल 300 बिलियन किलोवाट-घंटे (kWh) बिजली उत्पन्न करेगा, जो लगभग 300 मिलियन लोगों की वार्षिक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा। 

निर्माण की चुनौतियां
इस परियोजना को पूरा करने के लिए चार से छह सुरंगों को खोदने की आवश्यकता होगी, जो नामचा बरवा पर्वत के माध्यम से बनाई जाएंगी। इन सुरंगों का उद्देश्य नदी के आधे प्रवाह को मोड़ना है, जिससे जल विद्युत उत्पादन में वृद्धि हो सके। 

भारत और बांग्लादेश पर प्रभाव
चीन का यह बांध भारत और बांग्लादेश के लिए जल प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करेगा। इससे संभावित रूप से जल संकट या बाढ़ जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। यदि चीन पानी रोकता है, तो इससे दोनों देशों में सूखा आ सकता है, जबकि अचानक पानी छोड़ने पर बाढ़ आ सकती है। 

सुरक्षा चिंताएं
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बांध का उपयोग चीन द्वारा एक रणनीतिक हथियार के रूप में किया जा सकता है, जिससे वह पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में जल आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। 

पर्यावरणीय चिंताएं
इस परियोजना ने पर्यावरणविदों के बीच भी चिंता पैदा की है। तिब्बत में प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाने और लाखों लोगों के विस्थापन का खतरा बढ़ गया है। 

निष्कर्ष
चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जा रहे इस विशालकाय बांध का निर्माण न केवल ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि करेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय जल प्रबंधन और सुरक्षा संबंधी मुद्दों को भी जन्म देगा। भारत और बांग्लादेश को इस परियोजना के संभावित प्रभावों पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी, ताकि वे उचित कदम उठा सकें।

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