विपक्ष के बेरोजगारी वाले मुद्दे पर बरसे मुख्यमंत्री नायब सैनी, बोले-अब घर बैठे ही जरूरतमंद लोगों के बन रहे BPL कार्ड
किस-किस के कैसे बीपीएल कार्ड बनते थे, यह सबको पता है। फिर कितने कोर्ट केस होते थे। जो असली गरीब था, वह बीपीएल में आने के लिए दर-दर की ठोकरें खा कर, मन मसोस कर घर बैठ जाता था।
एमएच वन ब्यूरो, चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विपक्ष द्वारा राज्य में प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के साथ - साथ गरीबों की संख्या के आंकड़ों को हेर-फेर बताने के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन आंकड़ों में कोई गलती नहीं हैं। बात व्यवस्था परिवर्तन की है, जो भाजपा सरकार ने पिछले 10 वर्षों में की है। वर्ष 2014 तक तो सिफारिशों का कारोबार चलता था तथा कई-कई साल सर्वे होते रहते थे। इनमें किस-किस के कैसे बीपीएल कार्ड बनते थे, यह सबको पता है। फिर कितने कोर्ट केस होते थे। जो असली गरीब था, वह बीपीएल में आने के लिए दर-दर की ठोकरें खा कर, मन मसोस कर घर बैठ जाता था।
उन्होंने कहा कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2014 में 1 लाख 47 हजार 382 रुपये थी और वर्ष 2024 में यह बढ़कर 3 लाख 25 हजार 760 रुपये हो गई। यह आंकड़े भारत सरकार द्वारा जारी किये जाते हैं। पिछले 10 वर्षों में जो व्यवस्था बदली है, वह है गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों की संख्या का अनुमान लगाने की। वर्ष 2014 तक यूपीए की केन्द्र सरकार का नियम था कि किसी भी राज्य में उसकी जनसंख्या से 21 प्रतिशत से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे नहीं हो सकते। राज्य सरकारों को केवल इतना अधिकार था कि वे इस बेंच के नीचे परिवारों को 5 मानदंडों के आधार पर चिन्हित करके बीपीएल घोषित कर दें और उन्हें पीले राशन कार्ड दे दें। इनमें एक मापदंड यह था कि परिवार की वार्षिक आय 1 लाख 20 हजार रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
जनता ने सरकार पर भरोसा जताया
नायब सिंह सैनी ने कहा कि जब भाजपा सरकार ने पहले केंद्र और फिर राज्य में जनसेवा का दायित्व संभाला, तब अंत्योदय की भावना से सही मायने में काम शुरू हुआ। वर्ष 2018 में 21 प्रतिशत जनसंख्या की कैप से तथा एक लाख 20 हजार रुपए की आय सीमा से गरीब व्यक्ति को मुक्ति दिलवाई गई। परिवार पहचान पत्र के माध्यम से एक व्यवस्था बनाई गई। अब घर बैठे-बैठे असली जरूरतमंद लोग अपने बीपीएल कार्ड बनवाते हैं। कांग्रेस ने परिवार पहचान पत्र को लेकर भी भ्रम फैलाया, झूठ बोला, यह तो परिवार पहचान पत्र को परमानेंट परेशानी पत्र बताते थे। लेकिन, जनता ने बता दिया कि पीपीपी हरियाणा के हर एक नागरिक के लिए प्रगतिशील, पारदर्शी व प्रमाणिक व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले विपक्ष के लोग खुद ही इस बात को उठा रहे थे कि लोगों के बीपीएल कार्ड नही बन रहे, क्योंकि पीपीपी में उनकी आमदनी बढ़ा दी है। तब हमने खुद यह फैसला किया था कि लोगों की आमदनी को उनके द्वारा बताई गई आमदनी के हिसाब से माना जाए और उनसे एक शपथ पत्र ले लिया जाए। जो कोई व्यक्ति लिखकर दे देगा कि उसकी आमदनी कितनी है। उसे ही मान्य किया जाए, जिसके आधार पर भी बहुत से बीपीएल कार्ड बने है।
होगी आय वृद्धि बोर्ड की स्थापना
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 30 अक्तूबर, 2023 को करनाल में हुए अन्त्योदय महासम्मेलन में यह घोषणा की थी कि प्रदेश में हरियाणा आय वृद्धि बोर्ड की स्थापना की जाएगी। इस बोर्ड का प्रारंम्भिक कार्य काफी आगे बढ़ गया है। आने वाले दिनों में हर गरीब परिवार के सदस्य के कौशल और साधनों पर उनकी इच्छा अनुसार काम करके उनकी आय बढाई जाएगी, ताकि, वे स्वंय ही गर्व से कह सके कि अब उन्हें बीपीएल सुविधाओं की जरूरत नहीं है।
कांग्रेस की बेरोजगारी पर बयानबाजी पूरी तरह से गलत
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेरोजगारी पर भ्रामक बयानबाजी कांग्रेस के सदस्यों द्वारा हर बार की जाती है, जो पूरी तरह गलत है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, भारत सरकार ने अप्रैल से जून, 2024 तक का नवीनतम आवधिक श्रम सर्वेक्षण करवाया है। यह एक प्रमाणिक डाटा है। इस सर्वे के अनुसार पूरे देश में बेरोजगारी दर 6.6 प्रतिशत बताई गई है, जबकि हरियाणा में बेरोजगारी दर 4.7 प्रतिशत बताई गई है। अगर पड़ौसी राज्यों, पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की बात करें तो उनकी तुलना में भी हमारे यहां बेरोजगारी दर काफी कम है।
उन्होंने कहा कि रोजगार निदेशालय हरियाणा द्वारा चलाए जा रहे वेब पोर्टल से भी स्पष्ट है कि प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या कम हुई है। दिसंबर 2014 में राज्य में रोजगार कार्यालयों में कुल 7 लाख 75 हजार आवेदक पंजीकृत थे, जो नवंबर-2024 में घटकर 4 लाख 40 हजार रह गये हैं। इस प्रकार पिछले 10 सालों में 3 लाख 35 हजार बेरोजगार कम हो गये हैं। ये घटे हुए आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 वर्षों में राज्य में बेरोजगारी दर घटी है, न कि बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश में बेरोजगारी हटाने के ठोस प्रयास किए हैं। न केवल सरकारी नौकरियां दी गई हैं, बल्कि निजी क्षेत्र में रोजगार के लिए युवाओं का कौशल विकास भी किया गया है। हमारी सरकार ने वर्ष 2014 से लेकर अब तक 1 लाख 70 हजार से भी अधिक सरकारी नौकरियां बिना पर्ची खर्ची के दी है। जबकि, कांग्रेस के 10 वर्षों के शासनकाल में केवल 86 हजार सरकारी नौकरियां दी गई थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रदेश का युवा इनके बहकावे में आने वाला नहीं है। वह भली भांति समझता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है। प्रदेश के जागरूक और प्रतिभाशाली युवाओं ने कांग्रेसियों के मनसूबों पर पानी फेर दिया है और इन्हें इनकी सही जगह दिखा दी है।
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