कुलदीप को लेकर दो धड़ों में बंटी बिश्नोई महासभा, 14 सदस्य कुलदीप के पक्ष में आए
देवेंद्र बूड़िया ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि रणधीर पनिहार (कुलदीप बिश्नोई के करीबी विधायक) ने उन्हें दिल्ली बुलाया और वहां उनके साथ बुरा बर्ताव किया। हालांकि, रणधीर पनिहार ने इन आरोपों को खारिज किया है और सफाई दी है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के पुत्र और बीजेपी नेता कुलदीप बिश्नोई को लेकर अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा दो धड़ों में बंट गई है। महासभा के 21 में से 14 सदस्यों ने कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद पर बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में सोसाइटी रजिस्ट्रार को एक पत्र भी सौंपा है। पत्र में कहा गया है कि कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाना असंवैधानिक है।
उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा प्रधान देवेंद्र बूड़िया ने बिना कार्यकारिणी से पूछे ऐसा निर्णय लिया जो नियमानुसार सही नहीं है। संरक्षक को हटाने के लिए कार्यकारिणी की सहमति लेनी जरूरी है, जबकि 21 में से 14 सदस्य कुलदीप बिश्नोई के समर्थन में हैं। इन 14 में से 11 सदस्यों ने रजिस्ट्रार सोसाइटी को एफिडेविट (शपथ पत्र) भी सौंपा है। कार्यकारिणी के सदस्यों का कहना है कि अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा मुकाम के अंदर एक बड़ी सभा आयोजित कर 1 साल के बाद निर्वाचन प्रक्रिया चुनाव करने का निर्णय लिया गया है। यह समाज के चंद लोगों की यह सोच है जो समाज को बांटने का कार्य कर रही है। सबको एकजुट होकर इस नीति को रोकने का प्रयास करना चाहिए।”
जानें क्या है पूरा विवाद
देवेंद्र बूड़िया ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि रणधीर पनिहार (कुलदीप बिश्नोई के करीबी विधायक) ने उन्हें दिल्ली बुलाया और वहां उनके साथ बुरा बर्ताव किया। हालांकि, रणधीर पनिहार ने इन आरोपों को खारिज किया है और सफाई दी है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
बूड़िया ने जोधपुर में एक बैठक के दौरान कहा कि कुलदीप बिश्नोई और रणधीर पनिहार ने उनका अपमान किया। इस पर बिश्नोई समाज में गुस्सा फूटा और समाज के लोगों ने फैसला लिया कि मुकाम धाम में बड़ी बैठक बुलाकर इस पर निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद, बूड़िया ने बिश्नोई समाज की एक बैठक बुलाकर कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटा दिया और साथ ही यह घोषणा की कि भविष्य में महासभा में संरक्षक पद नहीं होगा। इसके अलावा नए प्रधान का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगा। बूड़िया को चुनाव तक महासभा का प्रधान बनाए रखने की सलाह दी गई।
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