टिकट वितरण में हुड्डा या सैलजा, किसका पलड़ा रहा भारी, किसके खाते में आई कितनी सीट ?

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चल रही लड़ाई के पहले हिस्से का गुरुवार को नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही अंत हो गया।

Sep 13, 2024 - 12:24
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टिकट वितरण में हुड्डा या सैलजा, किसका पलड़ा रहा भारी, किसके खाते में आई कितनी सीट ?

चंद्रशेखर धरणी, चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चल रही लड़ाई के पहले हिस्से का गुरुवार को नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही अंत हो गया। लंबी जद्दोजहद के बाद नामांकन दाखिल करने के अंतिम समय से महज कुछ घंटे पहले ही कांग्रेस ने अपनी आखिरी टिकट की घोषणा की।

गुरुवार की दोपहर तीन बजे तक नामांकन दाखिल करने का समय होने के बावजूद कांग्रेस की ओर से अपनी आखिरी टिकट दोपहर करीब एक बजे सोहना से रोहताश खटाना को दी गई। कांग्रेस की ओर से प्रदेश की सभी 90 सीटों पर किए गए टिकट वितरण को देखे तो यह साफ दिखाई देता है कि टिकट वितरण में सबसे अधिक भूपेंद्र हुड्डा की ही चली है। हरियाणा में यह पहला चुनाव है, जब कांग्रेस, आप, जेजेपी समेत कई दलों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा अंतिम समय तक होती रही। 

सैलजा पर भारी रहे हुड्डा ?

हरियाणा कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर चल रही खिंचतान को लेकर पार्टी हाई कमान ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह किसी भी मौजूदा सांसद को विधानसभा का चुनाव नहीं लड़वाएगी। इसी के चलते कई सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को लेकर पार्टी में आपसी गतिरोध रहा। साथ ही चुनाव के दौरान बगावत का भी डर बना रहा। इन्हीं के चलते कांग्रेस की ओर से प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने में देरी लगी। चर्चा है कि हुड्डा के कई समर्थकों ने बगावत और इस्तीफ़े की धमकी देकर पार्टी पर दबाव बनाया था। हाईकमान और कई कांग्रेसी नेताओं के विरोध के बाजवूद हुड्डा के समर्थन से पार्टी ने जेल में बैठे सोनीपत के विधायक सुरेंद्र पंवार को भी टिकट दिया। कुमारी सैलजा ने अंतिम समय तक नारनौंद की जिस सीट को होल्ड करवाकर रखा उस सीट पर भी हुड्डा समर्थक को ही उतारा गया है। प्रदेश में 90 में से 73 सीटों पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थकों को टिकट दी गई है।

कुमारी सैलजा और सुरजेवाला की ज्यादा नहीं चली

कुमारी सैलजा समर्थकों को केवल 10  सीटों पर टिकट दिए गए हैं, जिसमें कालका, पंचकूला, हिसार, फतेहाबाद, जगाधरी, अंबाला कैंट, नारायणगढ़, टोहाना, साढौरा और असंध शामिल हैं। कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला के हिस्से में केवल दो टिकट आए हैं। इनमें से एक टिकट सुरजेवाला के बेटे को दी गई है। वहीं एक टिकट सीपीआईएम के खाते में गई है। कैप्टन अजय सिंह यादव के हिस्से में केवल उनके बेटे की टिकट आई है लेकिन उसे भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कोटे में ही गिना जा रहा है।

बागी नेता बिगाड़ सकते हैं खेल

हालांकि टिकट नहीं मिलने से नाराज कईं नेताओं ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया है। ऐसे में बागी नेता पार्टी प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ सकते हैं। इसी के चलते नई सरकार बनने की पूरी तस्वीर 8 अक्टूबर को मतगणना के साथ ही साफ हो पाएगी।

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